Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 Jul, 2025 10:33 AM

झारखंड के धनबाद जिले के बाघमारा थाना क्षेत्र स्थित केशरगढ़ में अवैध कोयला माइनिंग के दौरान एक चाल धंसने से बड़ा और दिल दहला देने वाला हादसा हो गया है। प्रारंभिक सूचना के अनुसार इस घटना में एक दर्जन मजदूरों के दबने की आशंका है जिनमें से 9 की मौत की...
नेशनल डेस्क। झारखंड के धनबाद जिले के बाघमारा थाना क्षेत्र स्थित केशरगढ़ में अवैध कोयला माइनिंग के दौरान एक चाल धंसने से बड़ा और दिल दहला देने वाला हादसा हो गया है। प्रारंभिक सूचना के अनुसार इस घटना में एक दर्जन मजदूरों के दबने की आशंका है जिनमें से 9 की मौत की बात सामने आ रही है। इस हादसे के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई है। हैरान करने वाली बात यह है कि अवैध कोयला तस्कर ही बचाव कार्य में जुट गए हैं जबकि अभी तक किसी भी आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है।
यह घटना मंगलवार देर रात की बताई जा रही है जब केशरगढ़ के जमुनिया नामक स्थान पर बड़े पैमाने पर अवैध कोयला खनन का काम चल रहा था। इसी दौरान अचानक खदान की चाल धंस गई और वहां काम कर रहे मजदूर मलबे के नीचे दब गए। घटनास्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार 9 मजदूरों की मौत की सूचना है लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
जेडीयू विधायक सरयू राय ने लगाए गंभीर आरोप
इस घटना के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है। जेडीयू विधायक सरयू राय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर लिखा, "बाघमारा धनबाद के जमुनिया नामक स्थान पर अवैध खनन की चाल धंसने से आज रात 9 मज़दूरों की मौत हो गई है। अवैध खनन माफिया मृतकों का शव निपटाने में लगे हैं।" उन्होंने आगे लिखा, "इसकी सूचना मैंने धनबाद एसएसपी को दे दी है। प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार चुनचुन नामक खनन माफिया प्रभावशाली संरक्षण में अवैध खनन करा रहा था।"
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आए दिन होते हैं ऐसे हादसे, प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर अवैध कोयला खनन के खिलाफ प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह क्षेत्र पहले से ही अवैध कोयला कारोबार के लिए कुख्यात रहा है जहां आए दिन ऐसे हादसे होते रहते हैं जिनमें कई जानें जाती हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत के बिना यह अवैध धंधा फल-फूल नहीं सकता।
घटना के बाद आमतौर पर पुलिस और बचाव दल के पहुंचने का इंतजार किया जाता है लेकिन इस मामले में अवैध कोयला तस्करों ने ही आनन-फानन में बचाव कार्य शुरू कर दिया है ताकि मामले को दबाया जा सके और किसी भी सरकारी कार्रवाई से बचा जा सके। ऐसे में दबे हुए मजदूरों की सही संख्या और उनकी स्थिति के बारे में जानकारी मिलना मुश्किल हो रहा है।