Edited By prachi,Updated: 24 Jun, 2018 10:53 PM
अगले लोकसभा चुनावों की खातिर राजग की अगुवा भाजपा सहित बिहार की चार सहयोगी पार्टियों में सीट बंटवारे के लिए जदयू 2015 के राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाना चाहता है। जदयू ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया था। जदयू...
पटनाः आगामी लोकसभा चुनावों की खातिर राजग की अगुवा भाजपा सहित बिहार की चार सहयोगी पार्टियों में सीट बंटवारे के लिए जदयू 2015 के राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाना चाहता है। जदयू ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया था। जदयू नेताओं का दावा है कि 2015 का विधानसभा चुनाव राज्य में सबसे ताजा शक्ति परीक्षण था और आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे में इसके नतीजों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा को आना चाहिए आगे
जदयू नेताओं का कहना है कि भाजपा को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए कि सीट बंटवारे पर फैसला जल्द हो ताकि चुनावों के वक्त कोई गंभीर मतभेद पैदा न हो। भाजपा और उसकी दो सहयोगी पार्टियों राम विलास पासवान की अगुवाई वाली लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली रालोसपा की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जदयू की मांग पर सहमति के आसार न के बराबर हैं।
2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में जदयू को मिली थी 71 सीटें
साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को राज्य की 243 सीटों में से 71 सीटें हासिल हुई थीं जबकि भाजपा को 53 और लोजपा रालोसपा को दो-दो सीटें मिली थीं। जदयू उस वक्त राजद एवं कांग्रेस का सहयोगी था लेकिन पिछले साल वह इन दोनों पार्टियों से नाता तोड़कर राजग में शामिल हो गया और राज्य में भाजपा के साथ सरकार बना ली।
भाजपा नेता ने कहा- चुनावों से पहले पार्टियां चलती हैं ऐसी चालें
भाजपा के एक नेता ने जदयू की दलील को अवास्तविक करार देते हुए कहा कि चुनावों से पहले विभिन्न पार्टियां ऐसी चाल चलती हैं। उन्होंने दावा किया कि 2015 में लालू प्रसाद की अगुवाई वाले राजद से गठबंधन के कारण जदयू को फायदा हुआ था और नीतीश की पार्टी की असल हैसियत का अंदाजा 2014 के लोकसभा चुनाव से लगाया जा सकता है जब वह अकेले दम पर लड़ी थी और उसे 40 में से महज दो सीटों पर जीत मिली थी।