Edited By ,Updated: 30 Jul, 2021 07:14 AM
एन.आर.सी. या नैशनल सिटीजन रजिस्टर के जरिए भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी होनी है। अभी यह प्रक्रिया सिर्फ असम में हुई और वहां एन.आर.
एन.आर.सी. या नैशनल सिटीजन रजिस्टर के जरिए भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान करने की प्रक्रिया पूरी होनी है। अभी यह प्रक्रिया सिर्फ असम में हुई और वहां एन.आर.सी. की फाइनल सूची जारी हो चुकी है। असम में यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में पूरी हुई है। हालांकि, सरकार का कहना है कि वह पूरे देश में एन.आर.सी. लागू करेगी लेकिन एन.आर.सी. कब लागू होगा इसकी समय सीमा तय नहीं की गई है।
नागरिकता संशोधन कानून : नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से प्रताडि़त होकर आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित 6 धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसं यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। पहला प्रदर्शन नॉर्थ ईस्ट में हो रहा है जो इस बात को लेकर है कि इस एक्ट को लागू करने से असम में बाहर के लोग आकर बसेंगे जिससे उनकी संस्कृति को खतरा है। वहीं नॉर्थ ईस्ट को छोड़ भारत के शेष हिस्से में इस बात को लेकर प्रदर्शन हो रहा है कि यह गैर-संवैधानिक है। प्रदर्शनकारियों के बीच अफवाह फैली है कि इस कानून से उनकी भारतीय नागरिकता छिन सकती है।
नैशनल सिटीजन रजिस्टर की वर्तमान स्थिति : अभी तक सिर्फ असम में एन.आर.सी. लिस्ट तैयार हुई है। सरकार पूरे देश में जो एन.आर.सी. लाने की बात कर रही है, उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं। यह एन.आर.सी. लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी। उसे एन.आर.सी. का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद एन.आर.सी. एक्ट अस्तित्व में आएगा। हालांकि, असम की एन.आर.सी. लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आकर बस गए थे। फिलहाल सरकार कह चुकी है कि एनआरसी पूरे भारत में लागू करने की निकट भविष्य में कोई योजना नहीं है।
भारतीय मुसलमान और नागरिक संशोधन एक्ट : गृह मंत्रालय यह पहले ही साफ कर चुका है कि इस एक्ट का भारत के किसी भी धर्म के किसी नागरिक से कोई लेना-देना नहीं है। इसमें उन गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान जिन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताडऩा का शिकार होकर भारत में शरण ले रखी है। कानून के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ गए इन तीन देशों के प्रताडि़त धार्मिक अल्पसं यकों को नागरिकता दी जाएगी।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले इसको ले कर राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए भ्रम फैला कर धरने दिए गए जो चुनाव होते ही गायब हो गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत के शब्दों में ‘‘सी.ए.ए. और एन.आर.सी. किसी भारत के नागरिक के विरुद्ध बनाया गया कानून नहीं है, इससे वहां के नागरिकों या मुस्लिमों को कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा। आजादी के समय हमने अपने देश के अल्पसं यकों की चिंता करने की बात कही थी, जो हम आज भी कर रहे हैं पर पाकिस्तान ने यह सब नहीं किया। यह हिन्दू-मुस्लिम का विषय ही नहीं है, राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा बना दिया गया है।’’-सुखदेव वशिष्ठ