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चौ. देवीलाल का दिल सदैव गरीबों के लिए धड़कता था

Edited By ,Updated: 25 Sep, 2023 05:42 AM

ch devi lal s heart always beat for the poor

चौधरी देवीलाल जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठे हुए एक महान राजनीतिज्ञ और राष्ट्रवादी शख्स थे। ऐसे महान नेता राजनीति में विरले ही मिलते हैं। चौधरी देवीलाल का दिल सदैव गरीबों के लिए धड़कता था। इसीलिए जनता ने चौधरी देवीलाल को जननायक का दर्जा दिया है।

चौधरी देवीलाल जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठे हुए एक महान राजनीतिज्ञ और राष्ट्रवादी शख्स थे। ऐसे महान नेता राजनीति में विरले ही मिलते हैं। चौधरी देवीलाल का दिल सदैव गरीबों के लिए धड़कता था। इसीलिए जनता ने चौधरी देवीलाल को जननायक का दर्जा दिया है। इसका जीता जागता उदाहरण मुझे स्वयं 1989 में देखने को मिला और बखूबी महसूस भी किया कि चौधरी देवीलाल ने 31 मार्च 1989 में मेरे गांव खेड़ी मसानिया में जिन परिस्थितियों में अनुसूचित जाति की चौपाल का उद्घाटन किया था उससे चौधरी देवीलाल को 36 बिरादरी का नेता होने की प्रामाणिकता और पुख्ता हुई थी। 

मामला यह था कि उस समय मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने गांव-गांव में अनुसूचित जाति की चौपालों का निर्माण करवाए जाने की घोषणा की थी और हजारों गांव में चौपालों का निर्माण करवाया गया था। चौपाल के निर्माण के लिए मैचिंग ग्रांट के रूप में आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया था। अनुसूचित जाति की चौपाल के लिए मैचिंग ग्रांट देने की जिम्मेदारी तत्कालीन सरकार में उद्योग मंत्री डा. कृपाराम पूनिया को सौंपी गई थी। डा. पूनिया चौधरी देवीलाल के अत्यंत ही विश्वास पात्र थे और चौधरी देवीलाल उनकी हर बात पर विश्वास करते थे।

उन्हीं दिनों मैं अपनी पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी कर समाज सेवा का कार्य कर रहा था। मोहल्ला वासियों की सहमति से गांव में श्री गुरु रविदास मंदिर का शिलान्यास और चौपाल के उद्घाटन कार्यक्रम के लिए तत्कालीन उद्योग मंत्री डा. कृपाराम पूनिया का कार्यक्रम लेने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई। चंडीगढ़ में डा. कृपाराम पूनिया से मुलाकात के बाद 12 मार्च का प्रोग्राम तय हो गया। इसी के चलते 12 मार्च 1989 को डॉक्टर के.आर. पूनिया दोनों भवनों के उद्घाटन व शिलान्यास के लिए खेड़ी मसानिया गांव में आ रहे थे तो कुछ लोगों ने षड्यंत्रकारी राजनीति के तहत उनका रास्ता रोक दिया और खेड़ी मसानिया गांव में न जाने के लिए कहा। स्थिति को भांपते हुए डॉक्टर कृपाराम पूनिया वापस चंडीगढ़ चले गए और चौधरी देवीलाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। अगले दिन यह खबर सभी राष्ट्रीय समाचार पत्रों के पहले पन्ने पर छपी थी। हालांकि मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। 

डा. कृपाराम पूनिया ने मुझे अगले दिन चंडीगढ़ बुलाया और इलाके के पूरे माहौल की जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ में ही मुझे चौधरी देवीलाल से मिलवाया तब चौधरी देवीलाल ने मुझे कहा कि ‘हां भाई छोरे क्या चाहते हो तुम!’ मैंने उन्हें यही कहा कि डा. कृपाराम पूनिया तो आएं ही, आप भी हमारी चौपाल के उद्घाटन समारोह में आएं तो क्षेत्र के गरीब दलित व अनुसूचित जाति के लोगों को खुशी होगी। तब चौधरी देवीलाल ने विश्वास भरे शब्दों में अपने ही अंदाज में कहा था। मैं गांव खेड़ी मसानिया में 31 मार्च को आऊंगा और आप तैयारी करो। 

12 मार्च और 31 मार्च के बीच बड़ी ही असमंजस की स्थिति बनी रही कि मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल खेड़ी मसानिया आएंगे या नहीं। इस दौरान कार्यक्रम का स्थान बदलने व कार्यक्रम को रद्द करवाने के लिए मुझ पर कई प्रकार से दबाव बनाया गया, लेकिन चौधरी देवीलाल ने सभी शंकाएं दूर करते हुए गांव की चौपाल का 31 मार्च को उद्घाटन और श्री गुरु रविदास मंदिर का शिलान्यास किया और भारी भीड़ को संबोधित किया। साथ ही मैङ्क्षचग ग्रांट की घोषणा करते हुए उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि गरीब के उत्थान और ग्रामीण विकास के लिए किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहने दी जाएगी। इस प्रकार से  गांव की चौपाल का निर्माण कार्य पूरा हुआ और आज यहां  एक आलीशान भवन बना है, जिसे जो भी कोई व्यक्ति देखता है तो उसकी प्रशंसा करते नहीं थकता। खेड़ी मसानिया गांव के साथ साथ पूरे हरियाणा के अनुसूचित जाति समुदाय के लोग भी उसे एक ऐतिहासिक क्षण मानते हुए आज चौधरी देवीलाल को उनके जन्मदिवस पर नमन करते हुए याद करते हैं।(लेखक उपनिदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क)-सतीश मेहरा

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