स्वच्छ गंगा-जन सहयोग, जनांदोलन

Edited By ,Updated: 18 Jan, 2024 06:49 AM

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अनेक वर्षों से गंगा की सफाई के नाम पर केन्द्र और संबंधित राज्यों के स्तर पर अनेक प्रयास किए जा चुके हैं। कई दशक बीत जाने पर भी गंगा की पूर्ण सफाई के अनेक महा-अभियान गंगोत्री से निकलने वाली पवित्र गंगा और गंगा सागर में मिलने वाली अशुद्ध गंगा का भेद...

अनेक वर्षों से गंगा की सफाई के नाम पर केन्द्र और संबंधित राज्यों के स्तर पर अनेक प्रयास किए जा चुके हैं। कई दशक बीत जाने पर भी गंगा की पूर्ण सफाई के अनेक महा-अभियान गंगोत्री से निकलने वाली पवित्र गंगा और गंगा सागर में मिलने वाली अशुद्ध गंगा का भेद समाप्त नहीं कर सके। गंगा के बारे में विचार करने से पूर्व हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि गंगा हमारे देश के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है। देश का बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय गंगा को मां की तरह मानकर पूजा करता है। 

गंगा जल का प्रयोग सभी धार्मिक अनुष्ठानों में तथा जीवन की अंतिम यात्रा तक किया जाता है। गंगा में स्नान को एक महान् धार्मिक कार्य माना जाता है। हिन्दुओं के इन सब विश्वासों और मान्यताओं को सामुदायिक कहकर सीमित नहीं किया जा सकता। गंगा जल अपने आप में एक महान औषधि सिद्ध हो चुका है। गोमुख से हिमालय पर्वत की असंख्य शृंखलाओं से निकलने वाली मां गंगा का जल अनेक तत्वों के स्पर्श से औषधि बनने की योग्यता प्राप्त करता है। गंगा जल के इस औषधीय लक्षण के कारण गंगा जल में स्नान से अनेक शारीरिक रोग दूर होते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इससे भी बड़ा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 5 राज्यों-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होती हुई मां गंगा लगभग 50 करोड़ देशवासियों के लिए अन्न आदि उत्पन्न करने वाली भूमि की सिंचाई भी करती है। इसलिए गंगा का महत्व अपने आप ही सर्वोपरि सिद्ध होता है। परन्तु गोमुख से निकलने वाली मां गंगा की पवित्र धारा औद्योगिक कैमिकल और कचरे के साथ-साथ अन्य अनेक प्रकार की अशुद्धियां प्रविष्ट होते ही मैली हो जाती है। 

कुछ समय पूर्व मैं अपनी धर्मपत्नी के साथ ऋषिकेश गंगा दर्शन के लिए गया था। लगभग 3 दिन हमने परमार्थ निकेतन प्रवास करते हुए विश्व शान्ति के दूत पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से कई बार गंगा स्वच्छता पर विचार-विमर्श किया। मेरा विचार है कि यदि इन सुझावों पर हमारी सरकारें सीधे तौर पर या राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से विचारपूर्वक इस विचार शृंखला का क्रियान्वयन प्रारंभ करें तो आने वाले 10 वर्ष में निश्चित रूप से गोमुख से गंगा सागर तक पवित्र गंगा जल उपलब्ध हो सकेगा। जिस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर कंटीले तारों एवं फौज की व्यवस्था की जाती है, उसी भावना के साथ मां गंगा की रक्षा करने के लिए गंगा नदी के दोनों किनारों पर लगातार पाइप लाइन बिछाने के कार्य सम्पन्न होने चाहिएं और इन पाइप लाइनों को मां गंगा की रक्षा लाइन समझना चाहिए। 

इन पाइप लाइनों में समस्त उद्योगों का कचरा और गंदे नालों का पानी छोड़ा जाए। ये पाइप लाइनें गंगोत्री से गंगा सागर तक अधिकांश क्षेत्रों में बिछाई जाएं, जिनमें केवल कुछ को वन्य क्षेत्रों में छोड़ा जा सकता है। इन पाइप लाइनों की चौड़ाई एवं गुणवत्ता आदि का निर्धारण वैज्ञानिकों के परामर्श से होगा। मां गंगा की इन सुरक्षा पाइप लाइनों को स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय को प्रमुख जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इन सुरक्षा एवं स्वच्छता पाइप लाइनों के प्रति एक या 2 किलोमीटर की दूरी पर ट्रीटमैंट प्लांट लगाए जाएं, जहां गंदे पानी का मल एवं कचरा निकाला जाएगा तथा साफ जल को भी गंगा नदी में प्रवाहित न करके खेतों में सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाए। गंगा नदी में छोटी-बड़ी नदियों एवं नालों के मिलने वाले स्थानों पर भी आवश्यकतानुसार छोटे या बड़े ट्रीटमैंट प्लांट लगाए जाएं। ट्रीटमैंट के बाद इनके पानी का सदुपयोग भी केवल खेती के लिए निर्धारित हो। 

इस कार्य के लिए केन्द्र सरकार मूल कोष निर्धारित करे, जो अब तक गंगा स्वच्छता के लिए खर्च किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त छोटे-बड़े सभी उद्योगों से उनके द्वारा उत्सॢजत कचरा आदि निकासी के अनुरूप प्रतिवर्ष टैक्स की तरह धन इकट्ठा किया जाए। सभी उद्योगों के लिए सी.एस. आर. अर्थात कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी वाले लोगों का सदुपयोग गंगा में प्रवेश करने वाले सभी स्रोतों पर ट्रीटमैंट प्लांट लगाने के लिए बाध्य होना चाहिए। इन ट्रीटमैंट प्लांटों से निकलने वाला जल भी गंगा में न छोड़कर उसका उपयोग खेतों की सिंचाई के लिए किया जाए। अंतिम किन्तु सबसे महत्वपूर्ण जन सहयोगी आन्दोलन जिसे स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी जैसे सन्त, महात्मा और सामाजिक नेता सम्पन्न कर सकते हैं, वह है गंगा को छूने वाले हर गांव और छोटे-बड़े शहर में गंगा तट पर प्रतिदिन गंगा आरती के मन्दिर, घाट, शिव मंदिर स्थापित किए जाएं, जहां से प्रतिदिन लोगों में गंगा स्वच्छता की प्रेरणाओं का संचार किया जा सके। यदि इन सुझावों का क्रियान्वयन पूर्ण करने में एक दशक भी लग जाए तो भी यह महा-अभियान देशवासियों के लिए गौरवशाली होगा। समूचे विश्व के लिए भी एक महान् प्रेरणा और आध्यात्मिकता का संचार करने वाला होगा।-अविनाश राय खन्ना(पूर्व सांसद)

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