नमामि गंगे देश की संकल्प शक्ति का निर्मल प्रमाण

Edited By Updated: 05 Jan, 2023 07:37 AM

namami gange is pure proof of country s determination power

भारत के लिए 7 अगस्त, 2021 का दिन एक महत्वपूर्ण अवसर था, नीरज चोपड़ा नाम के एक एथलीट ने टोक्यो ओलिम्पिक में भाला फैंक में हमें स्वर्ण पदक दिलाकर गौरवान्वित किया। इस समाचार के परिशिष्ट में एक छोटा-सा कार्य सुर्खियों में नहीं आया कि चैम्पियन अपना भाला...

भारत के लिए 7 अगस्त, 2021 का दिन एक महत्वपूर्ण अवसर था, नीरज चोपड़ा नाम के एक एथलीट ने टोक्यो ओलिम्पिक में भाला फैंक में हमें स्वर्ण पदक दिलाकर गौरवान्वित किया। इस समाचार के परिशिष्ट में एक छोटा-सा कार्य सुर्खियों में नहीं आया कि चैम्पियन अपना भाला नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए नीलामी के उद्देश्य से दान कर रहा है। 

माननीय प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें मिले उपहारों की नीलामी शुरू करने की पहल, कार्यक्रम के लिए उनकी व्यक्तिगत भागीदारी, सरकार की अपार प्रतिबद्धता और उस पर दृढ़ विश्वास को बल देती है। इसी तरह 15 दिसम्बर 2022 को, इस प्रतिबद्धता ने आंशिक परिणाम हासिल किए, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे दुनिया के शीर्ष 10 ईकोसिस्टम बहाली कार्यक्रमों में से एक के रूप में मान्यता दी। अपने मन की बात कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री ने सही कहा कि यह देश की ‘संकल्प शक्ति और अथक प्रयासों’ का प्रमाण है और दुनिया को एक नया रास्ता दिखाता है। 

नमामि गंगे की कहानी 2014 की है जब माननीय प्रधानमंत्री ने गंगा नदी के पौराणिक गौरव को बहाल करने का कार्यक्रम शुरू किया था। अविरल (अप्रतिबंधित प्रवाह) और निर्मल (अप्रदूषित प्रवाह) गंगा की परिकल्पना से उत्साहित, एक समग्र और एकीकृत रास्ता अपनाने की पहल की गई। इस पहल को जन गंगा (जन भागीदारी और लोगों और नदी का सम्पर्क), ज्ञान गंगा (अनुसंधान और ज्ञान प्रबंधन) और अर्थ गंगा (स्वतंत्र प्रयास का आर्थिक मॉडल) के 3 कार्य क्षेत्रों से और आगे बढ़ाया गया था। 

अब तक 32,898 करोड़ रुपए की 406 परियोजनाओं को गंदे पानी के शोधन के बुनियादी ढांचे, नदी किनारे का विकास, नदी बेसिन की सफाई, जैव विविधता संरक्षण, वनरोपण, जन जागरूकता, उद्योगों से निकलने वाले सीवेज की निगरानी, अर्थ गंगा सहित अन्य के लिए मंजूरी दी गई है। इनमें से 225 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं,  शेष निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं। गंगा बेसिन में 5270 एम.एल.डी. शोधन क्षमता और 5,211 कि.मी. सीवर नैटवर्क के निर्माण के लिए करीब 177 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। सीवरेज प्रबंधन के लिए इनमें से कई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 

प्रारंभिक चरण के एक बड़े हिस्से को प्राप्त करने के साथ, नए जोश और कीमती अनुभव से लैस होकर, हम नमामि गंगे 2 की शुरूआत कर रहे हैं, जिसे अब सहायक नदियों जैसे यमुना और उप सहायक नदियों जैसे काली, गोमती, हिंडन, दामोदर नदी तक बढ़ा दिया गया है। 

कार्यक्रम की सफलता का एक प्रमुख कारण सार्वजनिक निजी भागीदारी मोड (एच.ए.एम.-पी.पी.पी.) के तहत हाइब्रिड एन्यूइटी मॉडल है, जो अपशिष्ट जल क्षेत्र में अब तक अज्ञात दृष्टिकोण है। एच.ए.एम. मॉडल के तहत, अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों की निर्माण लागत का 40 प्रतिशत तक सरकार द्वारा ऑपरेटरों को भुगतान किया जाता है और शेष उनके प्रदर्शन मानकों का आकलन करने के बाद 15 वर्षों की अवधि में जारी किया जाता है। इसी तरह से ‘एक शहर, एक ऑपरेटर’ मॉडल शुरू किया गया है जो पूरे शहर में सीवेज शोधन के लिए एक स्थान पर समाधान की परिकल्पना करता है। जबकि एच.ए.एम. ऑपरेटरों द्वारा प्रतिबद्धता, प्रदर्शन और स्थिरता सुनिश्चित करता है, ‘एक शहर, एक ऑपरेटर’ एकल स्वामित्व और जवाबदेही सुनिश्चित करता है। 

गंगा की पर्यावरणीय सफाई ने भारत के लोगों की आध्यात्मिक सफाई में मदद की है, और यह तब देखा गया जब 20 करोड़ से अधिक लोगों ने कुंभ के दौरान इसमें स्नान किया। गंगा में डॉल्फिन, घडिय़ाल, ऊदबिलाव और अन्य जलीय प्रजातियों का अधिक संख्या में दिखाई देना हर दिन इसकी याद दिलाता है। 

प्रधानमंत्री ने 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक के दौरान अर्थ गंगा अवधारणा का भी समर्थन किया था। ‘अर्थ गंगा’ का केन्द्रीय विचार ‘गंगा नदी पर निर्भर होने’ के नारे की तर्ज पर अर्थनीति के सम्पर्क के माध्यम से लोगों और गंगा नदी को जोड़ रहा है। जन गंगा और अर्थ गंगा दोनों अब नमामि गंगे को एक जन आंदोलन में बदलने के इंजन बन चुके हैं। 

कार्यक्रम के लिए पिछले कुछ महीने घटनाओं से भरे रहे, अर्थ गंगा के तहत 6 नए वर्टिकल की पहचान की गई है, जिनमें शून्य बजट प्राकृतिक खेती, मुद्रीकरण और कीचड़ और गंदे पानी के पुन: उपयोग, आजीविका सृजन के अवसर जैसे ‘घाट में हाट’, स्थानीय उत्पादों, आयुर्वेद, औषधीय पौधों को बढ़ावा देना आदि, हितधारकों, सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के लिए जन भागीदारी शामिल है जो बेहतर विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन के लिए स्थानीय क्षमताओं को बढ़ाकर सामुदायिक जेटी के माध्यम से नौका पर्यटन, योग को बढ़ावा देने, साहसिक पर्यटन और गंगा आरती और संस्थागत निर्माण पर निर्भर है। 

जलज केन्द्रों की स्थापना, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया है, स्थायी नदी केंद्रित आर्थिक मॉडल के निर्माण की दिशा में एक कदम है। 75 जलज केन्द्रों में से 26 की शुरूआत हो चुकी है। यह नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लिए सुविधाएं स्थापित करके और स्थानीय लोगों का मार्गदर्शन करके आजीविका के अवसर पैदा करने की एक पहल है।-गजेन्द्र सिंह शेखावत(केंद्रीय जल शक्ति मंत्री) 

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