पावरकॉम का लक्ष्य उपभोक्ताओं को निर्विघ्न बिजली मुहैया करवाना

Edited By ,Updated: 28 Sep, 2023 05:59 AM

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पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी.एल.) के अधीन ‘रूरल इलैक्ट्रीफिकेशन एंड एक्सलरेटिड पावर डिवैल्पमैंट रिफॉम्र्स प्रोग्राम’ (आर.ई. एंड ए.पी.डी.आर.पी.) संस्था पावरकॉम की एक बेहद महत्वपूर्ण समझे जाने वाली संस्था है जिसका ग्रामीण और शहरी...

पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी.सी.एल.) के अधीन ‘रूरल इलैक्ट्रीफिकेशन एंड एक्सलरेटिड पावर डिवैल्पमैंट रिफॉम्र्स प्रोग्राम’ (आर.ई. एंड ए.पी.डी.आर.पी.) संस्था पावरकॉम की एक बेहद महत्वपूर्ण समझे जाने वाली संस्था है जिसका ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली के प्रसार, नई-नई स्कीमों को लागू करने और समय-समय पर बिजली सुधारों इत्यादि के साथ राज्य के उपभोक्ताओं को निॢवघ्न और टिकाऊ/भरोसे योग्य बिजली सप्लाई करवाने में सबसे अधिक और महत्वपूर्ण योगदान है। इस संस्था की बदौलत पी.एस.पी.सी.एल. पंजाब की तरक्की का प्रमुख सांझेदार ही नहीं बना बल्कि पंजाब के बिजली उपभोक्ताओं और नागरिकों का जीवन, सामाजिक और आर्थिक स्तर भी बेहद मजबूत हुआ है। 

पी.एस.पी.सी.एल. के मुख्य अभियंता आर.ई. एंड ए.पी.डी.आर.पी.  इंजी. एस.आर. वशिष्ठ के अनुसार यह संस्था पहले ग्रामीण बिजलीकरण-रूरल इलैक्ट्रीफिकेशन (आर.ई.) के नाम के तहत वर्ष 1983 में अस्तित्व में आई और बाद में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के अनुसार इसका नाम बदलता रहा। इस संस्था के अंतर्गत पंजाब सरकार और केंद्र की योजनाओं के अनुसार राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली नवीनीकरण/सुधार का कार्य पावरकॉम की ओर से तय किए गए लक्ष्य के अनुसार करवाया जाता है ताकि योजना के अधीन अधिक से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके। 

इस संस्था के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के अधीन करवाए गए कार्यों में से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना है जो भारत सरकार के बिजली मंत्रालय की ओर से मार्च 2005 में चलाई गई। इस स्कीम अधीन पंजाब के 17 जिलों में सैंसेक्स 2001 के अनुसार योग्य 53941 गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.एल.) घरों को बिजली के कनैक्शन जारी किए गए तथा इस कार्य के लिए गांवों में बिजली का बुनियादी ढांचा तैयार करवाकर 2394 ट्रांसफार्मर लगाए गए। इस स्कीम के अंतर्गत सारा कार्य पावरकॉम की ओर से मार्च 2012 तक पूरा करवाया गया और इन कारों पर आए खर्चे की 90 प्रतिशत ग्रांट भारत सरकार की ओर से दी गई। 

इंजी. एस.आर. वशिष्ट के अनुसार बिजली की वितरण प्रणाली में ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन घाटों को कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में बिजली मीटरों को मीटर बक्सों/पिल्लर बक्सों में शिफ्ट करने के लिए स्कीम के अंतर्गत रूरल इलैक्ट्रिफिकेशन कार्पोरेशन की ओर से वर्ष 2009-10 में 19 प्रोजैक्ट रिपोर्टें मंजूर की गईं। इस योजना के तहत 31 मार्च 2012 तक करीब 16.85 लाख मीटर, मीटर बक्सों/पिल्लर बक्सों में तबदील किए जा चुके हैं जिससे वितरण प्रणाली में बहुत सुधार पाया गया है और बिजली उपभोक्ताओं को निॢवघ्न और टिकाऊ तथा भरोसेमंद बिजली मुहैया करवाई गई। 

इसी तरह ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन क्षेत्र में हो रहे नुक्सानों/घाटों को कम करने के लिए ट्यूबवैल कनैक्शनों को एल.वी.डी.एस. से एच.वी.डी.एस. में तबदील करने के लिए योजना के तहत रूरल इलैक्ट्रिीफिकेशन कार्पोरेशन की ओर से 40 स्कीमों की स्वीकृति दी गई जिसको सम्पन्न करने के लिए 2007 और 2009 में निविदाएं दी गईं। इस योजना के अंतर्गत 31 मार्च 2012 तक कुल 2,16,145 ट्यूबवैल कनैक्शन हेतु 1,81,635 डैडीकेटिड ट्रांसफार्मर लगा दिए गए। इस कार्य से ट्रांसफार्मरों के ऊपर चलते नाजायज लोड के घटने के कारण कृषि उपभोक्ताओं की मोटरों को निर्विघ्न और भरोसे योग्य बिजली आपूर्ति करवाई जा रही है तथा ट्रांसफार्मरों के सडऩे की गिनती भी बेहद कम हो गई। 

पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के अतिरिक्त निगरान अभियंता वक्र्स, आर.ई. एंड ए.पी.डी.आर.पी. इंजी. परमिन्द्र सिंह के अनुसार भारत सरकार के बिजली मंत्रालय की ओर से 19 सितम्बर 2008 के अपने कार्यालय मैमोरंडम द्वारा 30,000 से अधिक आबादी और 15 प्रतिशत से ऊपर ए.टी. एंड सी. नुक्सान घाटों वाले कस्बों और शहरी क्षेत्रों में सब-ट्रांसमिशन एवं वितरण को मजबूत करने के लिए आर.ए.पी.डी.आर.पी. (भाग-बी) स्कीम शुरू की गई। इस स्कीम के तहत राज्य के 46 कस्बों में कार्य करवाने हेतु 1632.70 करोड़ रुपए की डी.पी.आर. डिटेल्ड प्रोजैक्ट रिपोर्टें मंजूर की गई जिसमें भारत सरकार से शुरूआती 25 प्रतिशत ऋण की व्यवस्था भी की गई तथा बाकी का 75 प्रतिशत कर्ज वित्तीय संस्था/अपने स्रोतों से प्रबंध करना था। बाद में कर्जे का अधिक से अधिक 50 प्रतिशत स्कीम अनुसार दी गई शर्तों की पालना करने पर ग्रांटों में बदला जाना था। 

इस स्कीम का काम 31 मार्च 2018 को पूरा हो चुका है और यह स्कीम 1492.31 करोड़ रुपए की लागत से वित्तीय तौर पर बंद हो चुकी है। इस स्कीम के तहत कार्य पूरा होने के उपरांत बिजली की वितरण प्रणाली में बहुत सुधार आया है और फीडरों के नुक्सान कम हुए तथा बिजली उपभोक्ताओं को निर्विघ्न तथा पूरी सप्लाई उपलब्ध करवाई।-मनमोहन सिंह(उपसचिव लोकसंपर्क, पी.एस.पी.सी.एल.)
    

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