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स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

Edited By ,Updated: 19 Apr, 2025 06:31 AM

swami vivekananda and the rashtriya swayamsevak sangh

विश्व इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता जहां किसी साधक ने घर-बार परिवार सब कुछ मोक्ष प्राप्त करने के लिए त्याग दिया हो। परन्तु मातृभूमि की गुलामी और गरीबी को देख कर उस मोक्ष को भी मातृभूमि की सेवा के लिए छोड़ दिया हो।

विश्व इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता जहां किसी साधक ने घर-बार परिवार सब कुछ मोक्ष प्राप्त करने के लिए त्याग दिया हो। परन्तु मातृभूमि की गुलामी और गरीबी को देख कर उस मोक्ष को भी मातृभूमि की सेवा के लिए छोड़ दिया हो। ऐसा एक मात्र व्यक्तित्व स्वामी विवेकानंद जी का है। अपने गुरु श्री राम कृष्ण परमहंस जी के आदेश के अनुसार जब गुरु की मृत्यु के बाद स्वामी विवेकानंद पूरे भारत में घूमे और मातृभूमि की गुलामी और गरीबी की दुर्दशा को देखा तो यात्रा के अंत में कन्याकुमारी की उस शिला पर 3 दिन तक चिन्तन मनन करने के बाद ऐतिहासिक घोषणा की- हे प्रभु नहीं चाहिए मुझे मोक्ष जब तक मेरी मातृभूमि का प्रत्येक व्यक्ति भर पेट भोजन नहीं कर लेता और भारत गुलामी से मुक्त नहीं हो जाता तब तक मैं बार-बार जन्म लूं और मातृभूमि की सेवा करूं।

शिकागो की ऐतिहासिक विश्व धर्म सभा में स्वामी विवेकानंद जी का एेतिहासिक भाषण हुआ। विश्व के सभी धर्मों के विद्वानों की दस हजार प्रतिनिधियों की सभा में स्वामी विवेकानंद जी के भाषण से एक एेतिहासिक प्रभाव हुआ। सभी धर्म के नेता अपने-अपने धर्म की विशेषता बता कर यह कह रहे थे कि मुक्ति प्राप्त करने के लिए उनके धर्म में आना पड़ेगा। स्वामी विवेकानंद  ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय धर्म के अनुसार किसी को अपना धर्म छोडऩे की आवश्यकता नहीं है। जिस प्रकार सभी नदियां अपने-अपने रास्ते से चल कर एक समुद्र में पहुंचती हैं ठीक उसी प्रकार सभी धर्म एक ही ईश्वर के पास पहुंचते हैं। सब धर्म का ईश्वर एक है रास्ते अनेक हैं परन्तु मंजिल एक है। विश्व भर के विद्वानों पर स्वामी विवेकानंद जी के भाषणों का बहुत अधिक प्रभाव हुआ। अमरीका के प्रसिद्ध समाचार पत्र न्यूयार्क हेरल्ड के मुख पृष्ठ पर स्वामी जी का चित्र छाप कर साथ में यह लिखा था - विश्व धर्म सभा में स्वामी विवेकानंद सबसे अधिक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं उनके भाषण सुन कर हम सोचते हैं कि इतने विद्वान देश भारत में धर्म प्रचारक भेजना कितनी मूर्खता की बात है।

स्वामी जी ने भारत में आकर मातृभूमि की सेवा के लिए सबसे पहले गुलामी की नींद में सोए हुए भारत को जगाने की कोशिश की। उनके भाषणों से पूरे भारत में एक नई जागृति आई। पंडित जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठ भूमि तैयार की। उन्होंने कहा है कि भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद थे। स्वामी विवेकानंद सबसे अधिक बार-बार यह कहते थे मनुष्य और केवल मनुष्य। चरित्रवान देश भक्त ब्रज की तरह धमनियों वाले भारत के लिए सबसे पहले ऐसे मनुष्यों की आवश्यकता है। बाकी सब हो जाएगा। स्वामी विवेकानंद ने गुलामी की नींद में सोए हुए भारत को जगाने का ऐतिहासिक काम किया और मनुष्य निर्माण की एक व्यापक योजना बना कर पूरे देश में घूमने लगे। दुर्भाग्य से उनका स्वास्थ्य खराब हो गया और 39 वर्ष की  आयु में ही उनका स्वर्गवास हो गया। जीवन के अंतिम दिनों में वे बार-बार कहा करते थे मनुष्य निर्माण करके एक स्वाभिमानी भारत का सपना पूरा करने का मुझे मौका नहीं मिला परन्तु मुझे विश्वास है कि इस काम को पूरा करने के लिए कोई और आएगा और भारत जागेगा और विश्व गुरु बनेगा। मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का बचपन से स्वयं सेवक हूं। संघ को पढ़ा है और जिया भी है। ठीक उसी प्रकार मैंने स्वामी विवेकानंद जी के जीवन का भी गहरा अध्ययन किया है।

जीवन के अंतिम समय पर विवेकानंद जी ने यह विश्वास प्रकट किया था कि उनके मनुष्य निर्माण के काम को पूरा करने के लिए कोई और आएगा। स्वामी विवेकानंद एक दैवी पुरुष थे। उनके जीवन की उस अंतिम अनुभूति को पूरा करने के लिए ही डा. हेडगेवार का जन्म हुआ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना हुई। दोनों महापुरुषों के जीवन का गहरा अध्ययन करने के बाद मेरा यह अटल विश्वास है कि स्वामी विवेकानंद के अधूरे काम को पूरा करने के लिए ही डा. हेडगेवार आए और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना हुई। भारत बदल रहा है। गुलामी की निशानियां धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं। धारा 370 समाप्त हो गई। 500 साल के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो गया। एेतिहासिक कुम्भ मेले का एेतिहासिक आयोजन हुआ। नया वक्फ बिल पास हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक राष्ट्र एक चुनाव तथा पूरे देश में कॉमन सिविल कोड के एेतिहासिक सपने को बहुत जल्दी पूरा करने वाले हैं।

आजकल संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरा होने का समारोह मनाया जा रहा है। विश्व इतिहास में किसी भी देश में संघ की तरह का कहीं कोई संगठन नहीं हुआ। भारत जैसे बड़े देश में गांव-गांव में पहुंच कर संघ ने अपनी शाखा पद्धति से व्यक्ति निर्माण किया, चरित्र निर्माण किया। समाज के हर प्रकार के हर क्षेत्र में अपने संगठन की स्थापना की और पूरे देश में देश भक्त चरित्रवान युवकों का एक बहुत बड़ा समूह खड़ा किया। आज बहुत से प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक और उसके अलावा अन्य भी बहुत से महत्वपूर्ण पदों पर संघ के कार्यकत्र्ता आसीन हैं। नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद यह एेसा स्थान कभी किसी को नहीं मिला था। आज भाजपा अपने विकास की चरम सीमा पर है। दूर-दूर तक कोई विकल्प नहीं है। स्वामी विवेकानंद और डा. हेडगेवार के सपनों का भारत बन रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी मिलकर भारत की एक महा शक्ति बन कर उभरे हैं। इनका कोई विकल्प नहीं है। भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर 2047 में पूर्ण विकसित भारत विश्व में प्रकाशमान होगा।-शांता कुमार(पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. और पूर्व केन्द्रीय मंत्री)

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