प्रोसेस्ड दालों पर लगेगा 18% GST, AAR का आदेश

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Mar, 2024 12:20 PM

18 gst to be imposed on processed pulses aar orders

आंध्र प्रदेश के अग्रिम निर्णयों के प्राधिकरण (एएआर) ने आदेश दिया कि भूसी निकालने, अनाज का टुकड़ा करने के बाद प्राप्त प्रोसेस्ड दालें कृषि से प्राप्त उत्पाद नहीं हैं और ये साबुत दालों से अलग हैं। इसलिए प्रोसेस्ड दालों पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी...

नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश के अग्रिम निर्णयों के प्राधिकरण (एएआर) ने आदेश दिया कि भूसी निकालने, अनाज का टुकड़ा करने के बाद प्राप्त प्रोसेस्ड दालें कृषि से प्राप्त उत्पाद नहीं हैं और ये साबुत दालों से अलग हैं। इसलिए प्रोसेस्ड दालों पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा। एएआर ने आदेश दिया कि थोक खरीदारों और मिलों या किसानों को लेनदेन की सुविधा मुहैया कराने की अवस्था में कृषि उत्पादों पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा।

एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर संदीप सहगल ने बताया कि यह मामला आंध्र प्रदेश की गायत्री एंटरप्राइजेज का है और यह कृषि उत्पादों जैसे उड़द दाल व इसकी कई किस्मों, मूंग दाल व इसकी कई किस्मों, तूर, ज्वार और करमानी के कमीशन एजेंट या ब्रोकर डील में कारोबार करती है। कंपनी पक्षों से प्रति बोरी तय शुल्क लेती है। इसका नाम बिक्री या खरीद के लेनदेन के किसी भी इनवॉयस में नहीं है। यह केवल ब्रोकरेज राशि की इनवॉयस पक्षों को देती है।

कंपनी के पास जीएसटी पंजीकरण है और 18 फीसदी शुल्क वसूल करती है। हालांकि इसे पूरे भारत में कई पक्षों से विरोध का सामना करना पड़ता है। पार्टियों का कहना है कि कृषि उत्पादों और ब्रोकरेज पर जीएसटी मान्य नहीं है।

लिहाजा इस मामले पर कंपनी ने एएआर से निर्देश मांगा कि क्या भूसी अलग करने और अनाज को टुकड़ा करने के बाद तैयार उत्पाद पर जीएसटी लगेगा या नहीं। एएआर का मानना है कि किसानों या खेत में आमतौर पर भूसी को अलग या अनाज को विभाजित नहीं किया जाता, बल्कि इसे दाल मिलों के स्तर पर किया जाता है।

ऐसी दालें – भूसी अलग करने या अनाज को विभाजित करने से तैयार – कृषि से तैयार उत्पादन नहीं हैं। हालांकि एएआर ने स्पष्ट किया कि साबुत चना, राजमा जैसी साबुत दालें कृषि उपज की परिभाषा में शामिल हैं। एएआर ने स्पष्ट किया कि प्रोसेस्ड दालें कृषि उत्पाद की परिभाषा से बाहर हैं और उन्हें जीएसटी से छूट उपलब्ध नहीं है।

इसके अलावा प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी दालों के ब्रोकिंग एजेंट के तौर पर काम करती है जो कमीशन एजेंट की श्रेणी में आता है। लिहाजा आवेदक को कमीशन एजेंट पर लगने वाला 18 फीसदी जीएसटी अदा करने की जरूरत है। ऐसे में यह मायने नहीं रखता है कि लेनदेन में शामिल वस्तु को जीएसटी की छूट प्राप्त है। सहगल ने कहा कि एएआर ने सीमित नजरिया अपनाया है।

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