Edited By Supreet Kaur,Updated: 16 Oct, 2019 01:53 PM
देश का रियल एस्टेट क्षेत्र भी सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। इसका असर मकानों की बिक्री पर भी पड़ रहा है। संपत्ति सलाहकार कंपनी जेएलएल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मकानों में ग्राहकों की दिलचस्पी कम होने से देश के सात प्रमुख शहरों में 4.62 ...
नई दिल्लीः देश का रियल एस्टेट क्षेत्र भी सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। इसका असर मकानों की बिक्री पर भी पड़ रहा है। संपत्ति सलाहकार कंपनी जेएलएल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मकानों में ग्राहकों की दिलचस्पी कम होने से देश के सात प्रमुख शहरों में 4.62 लाख करोड़ रुपए की आवासीय परियोजनाएं अटकी हुई हैं। इनमें 84 फीसदी परियोजनाएं सिर्फ दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में हैं। अकेले दिल्ली-एनसीआर में यह आंकड़ा 62 फीसदी और मुंबई में 22 फीसदी है। इनमें से अधिकतर अपार्टमेंट उच्च-मध्यम और प्रीमियम श्रेणी के हैं।
जेएलएल ने अपनी शोध रिपोर्ट में मुंबई को छोड़कर अन्य शहरों के लिए 75 लाख रुपए तक के मकानों को ‘किफायती एवं मध्यम श्रेणी’ में रखा है, जबकि मुंबई में ऐसे मकानों की कीमत एक करोड़ रुपए तक है। जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री एवं शोध प्रमुख समंतक दास का कहना है कि यह आम धारणा है कि पूरे रियल एस्टेट क्षेत्र में संकट है, जो सही नहीं है। मुख्य रूप से उच्च-मध्यम और प्रीमियम श्रेणी की आवासीय परियोजनाएं ही अटकी हुई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, जो आवासीय परियोजनाएं अटकी हुई हैं, उनकी मुंबई में औसत कीमत 1.99 करोड़ रुपये है। वहीं, बंगलूरू में इनकी औसत कीमत 95 लाख, हैदराबाद में 94 लाख, चेन्नई में 87 लाख, दिल्ली-एनसीआर में 75 लाख, पुणे में 65.62 लाख और कोलकाता में 28.83 लाख रुपये है।