रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कर सकता है कटौती: एचएसबीसी

Edited By ,Updated: 16 Nov, 2016 04:05 PM

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मुद्रास्फीति के काबू में रहने और केंद्र सरकार नोटबंदी के फैसले से कीमतें कम होने के अतिरिक्त दबाव से रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में आन वाले समय में 0.25

नई दिल्ली: मुद्रास्फीति के काबू में रहने और केंद्र सरकार नोटबंदी के फैसले से कीमतें कम होने के अतिरिक्त दबाव से रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में आन वाले समय में 0.25 प्रतिशत की और कटौती का मौका मिल सकता है। एेसा अनुमान वित्तीय सेवा-जगत की एक प्रमुख कंपनी की एक रिपोर्ट में जताया गया है।  

एच.एस.बी.सी .के अनुसार खुदरा और थोक दोनों मुद्रास्फीति की दरें अनुकूल हैं। अक्तूबर के महंगाई दर के आंकड़े सुनिश्चित करते हैं कि मुद्रास्फीति को सीमित रखने के रिजर्व बैंक के लक्ष्य को पा लिया जाएगा। एच.एस.बी.सी. ने एक शोध रिपोर्ट में कहा, ‘‘सरकार द्वारा पुराने नोटों (500 और 1000 रुपए के) को चलन से बाहर किए जाने के नए कदम से अगले साल महंगाई और वृद्धि में कमी का अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।’’  

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्तूबर में खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा और थोक महंगाई में कमी आई है। इसके चलते एच.एस.बी.सी. को उम्मीद है कि अगले महीने रिजर्व बैंक द्वारा की जाने वाली मौद्रिक दरों की समीक्षा के दौरान दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है। गौरतलब है कि अक्तूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 4.20 प्रतिशत रही जो 14 महीनों के निचला स्तर है। वहीं थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने की गिरावट के साथ 3.39 प्रतिशत के स्तर पर रही है। 


 

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