Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Feb, 2020 03:27 PM
अडाणी ग्रुप को दिल्ली के अल्ट्रा पॉश एरिया लुटियंस में 400 करोड़ रुपए में एक आलीशान बंगला मिला है। 3.4 एकड़ में फैले इस बंगले का बिल्ट-अप एरिया 25,000 स्क्वायर फीट है। इसमें 7 बेडरूम, 6 डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम और 7,000 स्क्वायर फीट में स्टाफ...
बिजनेस डेस्कः अडाणी ग्रुप को दिल्ली के अल्ट्रा पॉश एरिया लुटियंस में 400 करोड़ रुपए में एक आलीशान बंगला मिला है। 3.4 एकड़ में फैले इस बंगले का बिल्ट-अप एरिया 25,000 स्क्वायर फीट है। इसमें 7 बेडरूम, 6 डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम और 7,000 स्क्वायर फीट में स्टाफ क्वार्टर बने हैं। बंगले के चारों तरफ घनी हरियाली है। यह दो-मंजिला बंगला भगवान दास रोड पर है। अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बंगले का मालिकाना हक पहले आदित्य एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के पास था लेकिन उसके खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया में अडाणी ग्रुप की बोली मंजूर हुई है। इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति भी इसे खरीदने की दौड़ में शामिल थे। आदित्य एस्टेट्स ने कुछ साल पहले बंगले की कीमत 1,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आंकी थी।
400 करोड़ रुपए में 135 करोड़ कन्वर्जन चार्ज के शामिल
रिपोर्ट में बताया गया है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने 14 फरवरी को अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। आदित्य एस्टेट्स के 93 फीसदी कर्जदाता भी अडाणी की बोली के पक्ष में थे। एनसीएलटी के दस्तावेजों के मुताबिक दिवालिया प्रक्रिया में बंगले की कीमत सिर्फ 265 करोड़ रुपए आंकी गई। अडाणी प्रॉपर्टीज को 5 करोड़ रुपए की गारंटी और 135 करोड़ रुपए कन्वर्जन चार्ज के चुकाने होंगे।
इस बंगले का इतिहास ब्रिटिश काल का है। 1921 में इसे यूनाइडेट प्रोविन्सेज लेजिस्टलेटिव काउंसिल के सदस्य लाला सुखबीर सिन्हा ने खरीदा था। इससे पहले बंगले में विदेश विभाग का ऑफिस चलता था। स्टाफ के रहने की व्यवस्था भी यहीं थी। 1985 में इसे आदित्य एस्टेट्स ने खरीद लिया था। आईसीआईसीआई बैंक यूके ने कर्ज की रिकवरी के लिए पिछले साल 26 फरवरी को आदित्य एस्टेट्स के खिलाफ दिवालिया की अर्जी लगाई थी।
हैवेल्स इंडिया के चेयरमैन ने भी बोली लगाई थी
दिवालिया प्रक्रिया के तहत बोली लगाने वालों में इन्फोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति, हैवेल्स इंडिया के चेयरमैन अनिल राय गुप्ता, डालमिया सीमेंट कंपनी और वीणा इन्वेस्टमेंट भी शामिल थे। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है कि दिवालिया प्रक्रिया में बंगले की जितनी कीमत आंकी गई है वह, मौजूदा बाजार भाव से भी कम है।