Air India ने किया सरकार का विरोध, जानें क्या है वजह

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2017 10:20 AM

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सरकारी कंपनी एयर इंडिया ने मालिकाना एवं नियंत्रण मानकों के दिशानिर्देशों में किसी भी तरह का बदलाव ....

नई दिल्लीः सरकारी कंपनी एयर इंडिया ने मालिकाना एवं नियंत्रण मानकों के दिशानिर्देशों में किसी भी तरह का बदलाव किए जाने का विरोध किया है, जिसके माध्यम से भारत में किसी विदेशी इकाई को पूर्ण मालिकाना वाली एयरलाइन की राह आसान हो सकती है। निजी क्षेत्र की विमानन कंपनियां पहले ही इस तरह के बदलाव के प्रस्ताव का विरोध कर चुकी हैं। एयर इंडिया के दो अधिकारियों ने पुष्टि की कि एयरलाइन ने प्रस्तावित बदलाव को लेकर अपना विरोध नागरिक उड्डयन और वाणिज्य मंत्रालय के समक्ष जता दिया है। इस कदम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए मानकों में बदलाव की सरकार की कवायद पर असर पड़ सकता है, क्योंकि सरकार की मालिकाना वाली एयरलाइंस की राय की उपेक्षा करना सरकार के लिए मुश्किल होगा।

कतर एयरवेज ने किया था ये एेलान
कतर एयरवेज के सीईओ अकबर अल बकर ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि कतर सॉवरिन फंड के साथ मिलकर कतर एयरवेज विश्व में सबसे तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में उड्डयन सेवा शुरू करेगी। मौजूदा मानकों में कंपनी के दो तिहाई बोर्ड सदस्य भारतीय होने अनिवार्य हैं, इसे लेकर मसौदा प्रस्ताव में बदलाव किया गया है। एयर इंडिया के वाणिज्यिक निदेशक पंकज श्रीवास्तव ने वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ हुई एक बैठक में कहा कि विदेशी एयरलाइंस के लिए भारत में राह आसान किए जाने का असर एयरलाइंस के कारोबारी पहलुओं पर असर पड़ेगा, जिसमें अभी सुधार शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं।

विदेशी एयरलाइंस डालेंगी बुरा असर
इस चर्चा में शामिल एक सूत्र ने कहा, 'एयरलाइंस का पक्ष यह था कि अगर विदेशी एयरलाइन को प्रवेश मिलता है तो एयर इंडिया पर इसका बुरा असर पड़ेगा, जिसने निजी क्षेत्र के भारतीय विमानन सेवा कंपनियों के हाथ पहले ही कारोबार गंवाया है।' इसके बारे में संपर्क किए जाने पर पंकज श्रीवास्तव ने कोई प्रतिक्रिया देने से मना किया। वहीं एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने भी इस पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।

एयर इंडिया ने किया था इस बात का विरोध 
सरकार के प्रस्ताव का एयर इंडिया और निजी एयरलाइंस की ओर से संयुक्त विरोध दुर्लभ घटना है, क्योंकि एयर इंडिया ने लॉबी समूह एफआईए छोड़ दिया था, जो तमाम सरकारी नीतियों को चुनौती दे रहा था। हिस्सेदारों से संपर्क के दौरान एयर इंडिया ने 5/20 नियम का शुरुआत में विरोध किया था, जिसके तहत विदेशी परिचालन शुरू करने के लिए 20 विमान और 5 साल का परिचालन अनुभव अनिवार्य किया गया था। एयर इंडिया के उस समय के चेयरमैन रोहित नंदन ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा था कि मानकों में ढील दिए जाने से एयर इंडिया की राह कठिन होगी। बाद में सरकार ने कहा कि यह 'राष्ट्रीय हित के संरक्षण' के लिए किया गया है। 

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