Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Apr, 2023 02:21 PM
देशभर में जमाखोरी के खिलाफ एक महीने से कई राज्यों में छापामार कार्रवाई और स्टॉक लिमिट तय किए जाने के बाद भी अरहर (तुअर) दाल के दाम बढ़ रहे हैं। दिसंबर 2022 में पूरे देश में 100 रुपए के आसपास चल रही दाल अब 129 रुपए किलो मिल रही है।
नई दिल्लीः देशभर में जमाखोरी के खिलाफ एक महीने से कई राज्यों में छापामार कार्रवाई और स्टॉक लिमिट तय किए जाने के बाद भी अरहर (तुअर) दाल के दाम बढ़ रहे हैं। दिसंबर 2022 में पूरे देश में 100 रुपए के आसपास चल रही दाल अब 129 रुपए किलो मिल रही है। यह खुद केंद्र सरकार मानती है। मार्च में दामों के 120 रुपए पार होने के बाद सरकार ने सीमा से अधिक दाल के भंडारण पर रोक लगा दी थी लेकिन दाम नहीं घटे। जानकार कहते हैं कि मांग और आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ने के कारण दाम बढ़े हैं।
अरहर की फसल में लगता है ज्यादा समय
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल कहते हैं, अरहर की फसल में 8 माह लगते हैं। इतने समय में किसान दूसरी दो फसलें ले लेता है। गेहूं-धान की तरह इसकी सरकारी खरीद भी नहीं होती। किसान उचित मूल्य को लेकर आश्वस्त नहीं रहता। इसलिए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक में किसानों ने अरहर कम बुवाई की। इससे पैदावार घटी और दाम बढ़ गए।
सरकार आयात करेगी दाल
देश में 2021 में 42 लाख टन तुअर दाल का उत्पादन था। 2022 में 19% घटकर 34 लाख टन रह गया। इस साल दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और मलावी से 4.5 लाख टन और म्यांमार से 2.5 लाख टन दाल आयात की जानी है। पिछले साल 4.5 लाख टन दाल ही मंगवाई गई थी। आयातित दाल खुदरा बाजार में आने के बाद ही दामों पर लगाम लग सकती है। हालांकि इसमें दो माह लग सकते हैं।
छोटे मिल संचालकों के लिए आयात के दरवाजे खुलें
मप्र दाल-चावल एसोसिएशन के अध्यक्ष शीलचंद्र लचकिया के मुताबिक, म्यांमार समेत कई अफ्रीकी देश भारत को निर्यात करने के लिए ही अरहर उगाते हैं। सरकार छोटे मिल संचालकों के लिए भी आयात के दरवाजे खोले।