‘मुद्रा युद्ध’ शुरू हो चुका है विश्व में

Edited By ,Updated: 25 Jan, 2015 04:44 AM

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यू.पी.ए. सरकार दौरान वित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी ने एक बार अंतर्राष्ट्रीय मंच से विश्व भर के अर्थशास्त्रियों को सम्बोधित करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि ...

जालंधर (अश्विनी खुराना): यू.पी.ए. सरकार दौरान वित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी ने एक बार अंतर्राष्ट्रीय मंच से विश्व भर के अर्थशास्त्रियों को सम्बोधित करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि विश्व में आर्थिक मंदी इसी तरह गहराती रही तो एक दिन दुनिया को मुद्रा युद्ध का सामना करना पड़ सकता है। उनका यह कथन अब ठीक हो रहा प्रतीत होता है क्योंकि वित्तीय प्रवाह में आए भारी उतार-चढ़ाव से सभी देश परेशान हैं। 
 
17 यूरोपीय देशों के समूह यूरो जोन की मुद्रा यूरो, जिसे डॉलर के बाद सर्वाधिक प्रयोग में लाया जाता है, के दाम भारतीय रुपए के मुकाबले लगातार गिर रहे हैं। यूरोपीय कर्ज संकट को देखते हुए यूरो की हालत पहले से बदतर होती जा रही है। यूरो के दाम गिरने से निर्यातकों के भी पसीने छूटने लगे हैं। 
 
एक स्थानीय निर्यातक ने बताया कि कुछ माह पहले तक उन्हें यूरोपीय देशों में निर्यात करने के बदले यूरो के रूप में 80 रुपए मिलते थे जो अब घट कर 68.80 के स्तर तक आ गए हैं जिस कारण उन्हें करोड़ों का घाटा सहन करना पड़ रहा है। 
 
विशेषज्ञों की नजरें भारतीय रुपए पर 
 
गौरतलब है कि विश्व के 700 मिलियन लोग हर रोज यूरो को मुद्रा के रूप में प्रयोग करते हैं परंतु यूरोपीय देशों में जारी संकट के कारण दुनिया में डालर की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, चाहे आज भी डालर को सबसे ज्यादा खतरा यूरो से ही माना जा रहा है।  
 
अमरीका में आई मंदी के कारण डालर की भी हालत पतली होती दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में विश्व के अर्थव्यवस्था विशेषज्ञों  की नजरें येन और भारतीय रुपए पर टिकी हुई हैं। खास बात यह है कि भारत से हैंडटूल, इंजीनियरिंग गुड्स तथा काफी सामान यूरोपीय देशों को निर्यात होता है। ऐसे में भारतीय निर्यातक मोदी सरकार की ओर आशा की दृष्टि से देख रहे हैं कि कब वह यूरो तथा डालर के मुकाबले भारतीय रुपए में स्थिरता लाने के प्रयास करती है। 
 
कुछ समय पहले तक पौंड का रेट भी 100 रुपए के आसपास था जो अब घट कर 92 रुपए के निकट चल रहा है। ऐसे में ब्रिटेन तथा अन्य देशों से भारत में आने वाली करंसी का प्रवाह भी प्रभावित हो रहा है। 
 
एन.आर.आई. कतरा रहे हैं निवेश करने से
 
यूरो, डालर तथा पौंड के रेटों में गिरावट के चलते भारतीय रियल एस्टेट सैक्टर भी प्रभावित होता दिख रहा है क्योंकि अब एन.आर.आई. भारत में निवेश करने से फिलहाल कतराते दिख रहे हैं। कनाडा जहां भारी संख्या में भारतीय बसे हुए हैं, उसके डालर का रेट भी पिछले कुछ माह दौरान 62 रुपए से घट कर 49 रुपए के आसपास आ गया है। ऐसे में एन.आर.आई. भारत में निवेश करना घाटे का सौदा मान रहे हैं।

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