घूमने से पहले जरा इन खर्चों पर डालें नजर

Edited By ,Updated: 17 May, 2015 01:39 PM

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अक्सर लोग गर्मी की छुट्टियों में घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं ताकि कुछ दिनों के लिए ही सहीं गर्मी से आपको राहत मिल सकें। अगर आप इन दिनों घूमने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो जरा इन छिपे हुए खर्चों पर नजरा डालें और हो जाएं सावधान।

नई दिल्लीः अक्सर लोग गर्मी की छुट्टियों में घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं ताकि कुछ दिनों के लिए ही सहीं गर्मी से आपको राहत मिल सकें। अगर आप इन दिनों घूमने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो जरा इन छिपे हुए खर्चों पर नजरा डालें और हो जाएं सावधान। 

 
आपको बता दें कि टूर-ट्रैवल्स कंपनियां, एजेंट और ऑनलाइन पोर्टल पर्यटकों से टैक्स समेत कई तरह के हिडन चार्ज वसूल रहे हैं। यह कुल टूर पैकेज के करीब 10 से 15% तक होते हैं। कम पैसों में आकर्षक टूर का वादा करने वाले ज्यादातर टूर ऑपरेटर्स और कंपनियां कई चार्जेस का स्पष्ट जिक्र नहीं करते। अक्सर ये ऐसे मौके पर बताए जाते हैं जब टूरिस्ट के पास इनके भुगतान के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता। 
 
हिडन चार्जेस के बारे में मेकमाईट्रिप डॉट कॉम के हॉलिडे प्रमुख रणजीत ओक बताते हैं कि टूर ऑपरेटर कभी भी पैकेज में छोटे-छोटे खर्चों का जिक्र नहीं करते। मसलन, साइट पर एंट्री फीस, एक शहर से दूसरे शहर जाने पर लगने वाला टोल-टैक्स। इन छोटे-छोटे खर्चों को भारतीय रुपए में जोड़ा जाए तो बड़ी रकम बनती है। 
 
ज्यादातर ऑपरेटर और एजेंट ग्रुप बुकिंग में भी खर्च का पूरा ब्योरा नहीं देते। किसी विदेशी पैकेज में 10 लोगों का ग्रुप तय है और आपके ग्रुप में मात्र 8-9 लोग हैं। तो एक खाली जगह का खर्च भी ग्रुप को देना होता है। ऐसी बातों का जिक्र कभी नहीं किया जाता। 
 
कॉक्स एंड किंग्स के हेड रिलेशनशिप करन आनंद ने कहा कि हम वेबसाइट पर ही टूर की सभी बातें लिखते हैं और पर्यटक को भी सही जानकारी देते हैं। लेकिन कई ऑनलाइन बुकिंग कंपनियां ऑफर आदि के जरिए पर्यटकों को गलत जानकारी देती हैं। उपभोक्ता मामलों की विशेषज्ञ पुष्पा गिरिमाजी ने कहा कि कंज्यूमर कोर्ट के मुताबिक गलत सूचना देना भी अवैधानिक है। इसके लिए उपभोक्ता मुआवजे का हकदार हो सकता है।
 
30 फीसदी या 50 फीसदी डिस्काउंट की बात होती है लेकिन मिलता एक या दो को ही है। सभी उपभोक्ताओं को डिस्काउंट का लाभ न देना भी अवैधानिक ही है। 
 
उपभोक्ता संस्था कट्स के सीनियर प्रोग्राम कॉर्डिनेटर दीपक सक्सेना बताते हैं कि ऑपरेटर कंपनियां टैक्स को लेकर सबसे अधिक गड़बड़ करती हैं। बुकिंग के समय पर्यटक को इस संबंध में कुछ नहीं बताया जाता हैं। पूरी रकम का भुगतान होने के बाद टैक्स की रकम अलग से जोड़ी जाती है। सभी प्रकार के टैक्स की राशि करीब 15 फीसदी होती है। 
 
वहीं, ट्रिप फैक्टरी बेंगलुरू के सी.ओ.ओ. अमित अग्रवाल कहते हैं कि कई बार ऑन लाइन पोर्टल पर्यटकों से 10-15 फीसदी तक हिडन चार्जेस लेते हैं। मुंबई में इशान इंटरनेशनल टूर कंपनी के डायरेक्टर जितेंद्र गिरे कहते हैं कि उनकी कंपनी इस वक्त थाईलैंड व बैंकॉक की बुकिंग 45,000 रुपए में कर रही है। परंतु कई वेबपोर्टल 31 से 32 हजार रुपए में ही बुकिंग ऑफर दे रहे हैं। दरअसल, सस्ती दर पर बुकिंग ऑफर में कंपनियां कस्टमर को वीजा, इंडियन लंच-डिनर, डेस्टिनेशन और साइट सीन के खर्च की जानकारी नहीं देती हैं। 
 
विदेश टूर एजेंट जितेंद्र ग्रोवर का कहना है कि ग्राहकों को टूर पैकेज बताते वक्त ज्यादातर ऑपरेटर तीन बड़े टैक्स के बारे में बताने से परहेज करते हैं। इनमें होटल टैक्स (3.09 प्रतिशत), लक्जरी टैक्स (12.6 प्रतिशत) और सर्विस टैक्स/वैट शामिल हैं। एक बार अग्रिम राशि मिलने के बाद ही ये टैक्स तस्वीर में आते हैं। ग्राहक भी इस पड़ाव में कुछ कहे बगैर ही पूरा पैसा चुकाने को मजबूर हो जाता है। टूर ऑपरेटर सुनील जैन कहते हैं कि एजेंट ऑनलाइन सस्ते होटल बुक करवा कर करंट रेट के हिसाब से पैसे वसूलते हैं। 
 

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