अब नए उद्यमियों को संवार रहे आईटी दिग्गज

Edited By ,Updated: 30 Jun, 2015 11:13 AM

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जिन हाथों ने भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कारोबार की बुनियाद रखी और उसे 15,000 करोड़ डॉलर तक पहुंचाया, वे अब भी मैदान में डटे हुए हैं।

नई दिल्लीः जिन हाथों ने भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कारोबार की बुनियाद रखी और उसे 15,000 करोड़ डॉलर तक पहुंचाया, वे अब भी मैदान में डटे हुए हैं। यह बात अलग है कि अब वे आईटी की कमान नहीं संभाल रहे हैं बल्कि रास्ता दिखाकर, तजुर्बे साझा कर और निवेश के जरिये इस उद्योग में योगदान कर रहे हैं। 
 
आईटी के मैदान में भारत के झंडे गाडऩे वाली पहली पीढ़ी के दर्जन भर से भी ज्यादा उद्यमी निवेश कार्यों में लगे हुए हैं और देश में कई छोटे कारोबारों को बुनियादी जरूरतें मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। रमण रॉय (जेनपेक्ट और क्वाट्रो), अजय चौधरी (एचसीएल इन्फोसिस्टम्स) और सौरभ श्रीवास्तव (आईआईएस इन्फोटेक/जेंसा) जैसे आईटी और बीपीओ के संस्थापक इसी फेहरिस्त में शुमार हैं। 
 
उन्होंने सत्तर और अस्सी के दशकों में अपनी-अपनी कंपनियों की स्थापना की थी और उभरते कारोबारों की मदद कर एक तरह से वे अपने अतीत को दोहरा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि अपने दम पर एक और नई कंपनी खड़ी करने की तमन्ना उनमें अब नहीं रही है। लेकिन वे ऐसे युवाओं के लिए रणनीति बना रहे हैं, जो आगे चलकर कामयाब उद्यम खड़े कर देंगे।
 
भारतीय बीपीओ उद्योग के संस्थापकों में से एक रॉय कहते हैं कि उन्होंने अब तक 25 से अधिक कंपनियों में निवेश किया है और ऐसा केवल तकनीकी कंपनियों तक सीमित नहीं है। रॉय कहते हैं कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तो उस समय न तो कोई रास्ता दिखाने वाला था और न ही पूंजी उपलब्ध कराने वाला था।
 
इसी तरह श्रीवास्तव ने कहा कि वह अब तक 55 निवेश कर चुके हैं जिनमें 25-30 ताजातरीन हैं। वह कहते हैं, 'आईटी अब भी हमारे कारोबार और जीवन को नई दिशा दे रहा है।' उन्होंने कहा कि भारतीय आईटी उद्योग के सफलता के शिखर पर पहुंचने से पहले पहली पीढ़ी के मध्यम वर्ग के उद्यमियों के सफल होने की मिसाल कम ही थी। 
 
आईटी उद्योग के अधिकारियों का भी कहना है कि जब आप कुछ कंपनियों की स्थापना कर चुके होते हैं तो उत्साह थोड़ा शांत पड़ जाता है लेकिन अपने अनुभव आप नई पीढी के साथ बांटकर मानसिक रूप से स्वयं को व्यस्त रखते हैं। एचसीएल के सह-संस्थापक अजय चौधरी का कहना है कि कंपनियों में निवेश करना आईटी उद्योग में एक तरह से अपना योगदान बरकरार रखना है। चौधरी ने विभिन्न खंडों से संबंध रखने वाली करीब 30 कंपनियों में निवेश किया है।
 

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