काले धन के खुलासे का नहीं मन!

Edited By ,Updated: 11 Aug, 2015 09:47 AM

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विदेशों में जमा अघोषित धन व संपत्ति का खुलासा करने के लिए सितंबर के अंत तक की मियाद रखी गई थी, जो पूरी होने वाली है।

मुंबईः विदेशों में जमा अघोषित धन व संपत्ति का खुलासा करने के लिए सितंबर के अंत तक की मियाद रखी गई थी, जो पूरी होने वाली है। इसलिए देसी रईसों ने भी काला धन कानून से बचने के लिए कमर कस ली है। वे विदेशी धन व संपत्ति का खुलासा करने के बजाय कई स्तरों वाले ढांचे के साथ न्यास स्थापित करने, आवास बदलने और विदेश में अपनी संपत्ति तीसरे पक्ष को सौंपने के रास्ते अपना रहे हैं। कर अधिवक्ताओं का कहना है कि खुलासा करने के बाद इन लोगों को कार्रवाई से छूट नहीं देना इस योजना की सबसे बड़ी खामी है। इस वजह से लोग अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा करने से कतराएंगे।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक शीर्ष कर अधिवक्ता ने बताया, ''कई लोगों का मानना है कि 60 फीसदी कर और जुर्माना चुकाने के बावजूद मुकद्दमों से राहत मिलने की गारंटी नहीं दी गई है तो बेहतर है कि खुलासा ही नहीं किया जाए। कई रईस तो तय कर चुके हैं कि उनकी संपत्तियों का पता सरकार को लग गया तो वे जिंदगी भर कानूनी लड़ाई लड़ते रहेंगे।'' 

देश की 4 शीर्ष ऑडिटिंग कंपनियों में से एक के अधिकारी ने बताया, ''हर व्यक्ति सितंबर के बाद होने वाली परेशानी को लेकर चिंतित है। इस काला धन कानून से सरकार और करदाताओं के बीच कानूनी विवादों की तादाद बढऩा तय है।'' विदेश में धन जमा करने वालों की 3 श्रेणियां हैं- बड़ी कंपनियां और उनके मालिक, मझोली कंपनियां और हीरा कारोबारी, बड़ी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी व रियल एस्टेट कंपनियां। पारंपरिक और बड़े कारोबारी घरानों के मालिकों द्वारा विदेशों में जुटाई गई रकम व अपार्टमेंट, कार्यालय की इमारतें जैसी संपत्तियों की देखभाल के लिए उनके विदेशी मूल के रिश्तेदार या कर्मचारी मौजूद हैं। 

वकीलों ने बताया कि कर चोरी करने वाले कुछ लोग बहुस्तरीय ढांचे वाले न्यास का गठन कर रहे हैं। इस तरह की ज्यादातर आस्तियों का स्वामित्व न्यासों के पास होता है, जो कर के लिहाज से नरमी वाले अधिकार क्षेत्र में गठित किया जाता है। इन न्यासों में असली मालिक की पहचान छिपाने के लिए पेशेवर शेयरधारक और निदेशक होते हैं। इसके बाद एक लाभार्थी न्यास का गठन किया जाता है, जिसमें असल मालिक द्वारा नामित व्यक्ति लाभार्थी होते हैं। वकील ने बताया कि इस स्तर पर निवास और दोहरी कराधान संधियों का फायदा उठाकर कर लाभ बढ़ाया जाता है। 

उन्होंने बताया, ''पुनर्गठन के बावजूद अगर आयकर विभाग कोई नोटिस जारी करता है तो कर चोरी करने वाले ये रईस सरकार के साथ लंबी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं क्योंकि विभाग के लिए असली लाभार्थी का पता लगाना मुश्किल होगा। ज्यादातर कारोबारी दुबई, सिंगापुर, ब्रिटेन और हॉन्ग कॉन्ग में रहने के लिए जा चुके हैं। बड़ी संख्या में रकम इंडोनेशिया, दुबई और ऑस्ट्रेलिया में शाखा रखने वाले बैंकों को हस्तांतरित की जा चुकी है। एक अन्य कर अधिवक्ता ने बताया, ''अभियोजन से छूट का वादा नहीं होने के कारण रईस व्यक्ति काला धन कानून से बचने के लिए तरीके अपना रहे हैं।'' बड़ी कंपनियां तो जोखिम लेने के लिए तैयार हैं लेकिन मझोली कंपनियां, बिल्डर और हीरा कारोबारी अघोषित संपत्तियों का खुलासा करने को तैयार हैं बशर्ते बाद में उनसे इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछा जाए।

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