Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jan, 2019 10:49 AM
देश की अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका लगा है। सैंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सी.एम.आई.ई.) के प्रोजैक्ट-ट्रैकिंगडाटाबेस के ताजा आंकड़ों के अनुसार दिसम्बर में समाप्त हुई तिमाही में नया निवेश 14 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
नई दिल्लीः देश की अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका लगा है। सैंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सी.एम.आई.ई.) के प्रोजैक्ट-ट्रैकिंगडाटाबेस के ताजा आंकड़ों के अनुसार दिसम्बर में समाप्त हुई तिमाही में नया निवेश 14 सालों के निचले स्तर पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की बाकी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे ज्यादा तेजी से उभरने वाली अर्थव्यवस्था रही है।
बैड लोन भारतीय उद्योग पर पड़ा भारी
बैड लोन में लगातार बढ़ौतरी, चुनावों से पहले नीतियों की अनिश्चितताओं में बढ़ौतरी और लटकी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में किसी प्रकार का सुधार नहीं होना भारतीय उद्योग के उत्साह पर भारी पड़ा है। सी.एम.आई.ई. के आंकड़ों के मुताबिक दिसम्बर तिमाही में लटकी परियोजनाओं की लागत में लगातार बढ़ौतरी हुई है।
कुछ ऐसे नजर आए आंकड़े
- भारतीय कम्पनियों ने दिसम्बर तिमाही में एक लाख करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट की घोषणा की है।
- सितम्बर तिमाही की तुलना में 53 प्रतिशत कम और पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 55 प्रतिशत कम है।
- नई परियोजनाओं में यह गिरावट निजी क्षेत्र द्वारा प्रोजैक्ट की घोषणाओं में कमी के कारण सामने आई है।
- सितम्बर तिमाही की तुलना में दिसम्बर तिमाही में निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में 62 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में इसमें 64 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- चालू वित्त वर्ष की सितम्बर तिमाही की तुलना में दिसम्बर तिमाही में नई सरकारी परियोजनाओं में भी गिरावट देखने को मिली है।
- दिसम्बर तिमाही में ताजा निवेश में पिछली तिमाही की तुलना में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
- पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 41 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, जो दिसम्बर 2004 के बाद अपने निचले स्तर पर है।