Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jan, 2022 03:34 PM
बीमा कंपनियां आगामी आम बजट में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम के भुगतान पर अलग से एक लाख रुपए की छूट की मांग कर रही हैं ताकि अधिक लोगों को बीमा के दायरे में लाया जा सके। बीमा कंपनियों यह भी चाहती हैं कि स्वास्थ्य
मुंबईः बीमा कंपनियां आगामी आम बजट में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम के भुगतान पर अलग से एक लाख रुपए की छूट की मांग कर रही हैं ताकि अधिक लोगों को बीमा के दायरे में लाया जा सके। बीमा कंपनियों यह भी चाहती हैं कि स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वर्तमान 18 फीसदी दर को घटाकर पांच फीसदी किया जाए ताकि ऐसे उत्पाद आम लोगों के लिए अधिक किफायती हो सकें। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी।
केनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य वित्तीय अधिकारी तरूण रस्तोगी ने कहा, ‘‘उद्योग की नीति निर्माताओं से लंबे समय से उम्मीद रही है कि लोगों को जीवन बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम के भुगतान पर कम से कम एक लाख रुपए की अलग से छूट दी जाए।’’ वर्तमान में सभी वित्तीय उत्पाद आयकर छूट की धारा(80सी) के तहत आती हैं और इसकी सीमा 1,50,000 रुपए है।
एडलवाइस टोकिओ लाइफ इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक सुब्रजीत मुखोपाध्याय ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि बजट में जीवन बीमा के प्रीमियम के भुगतान पर कर कटौती के लिए अलग खंड बनाने पर विचार होगा।’’ एगीस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी विघ्नेश शाहणे ने कहा कि धारा 80सी में फिलहाल सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र समेत कई निवेश विकल्प शामिल हैं। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए टर्म पॉलिसी के लिए अलग खंड अच्छा होगा।
बीमा नियामक आईआरडीएआई की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 के मुताबिक देश में बीमा लेने की दर सकल घरेलू उत्पाद की 4.2 फीसदी है जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 7.4 फीसदी है। मार्च 2021 तक गैर-जीवन बीमा लेने की दर बमुश्किल एक फीसदी थी।