CCI व फैडरेशन 37 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड सेल करने में कामयाब

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Aug, 2020 01:17 PM

cci and federation managed to sell 37 lakh bales of white gold

भारत के विभिन्न कपास पैदावार राज्यों की मंडियों में आजकल रोजाना कपास की कम होकर 15000/20000 गांठों की आमद रह गई है। रूई के मंदडिय़ों के अनुसार देश में कपास आमद 10000/12000 गांठों से अधिक नहीं है।

जैतो: भारत के विभिन्न कपास पैदावार राज्यों की मंडियों में आजकल रोजाना कपास की कम होकर 15000/20000 गांठों की आमद रह गई है। रूई के मंदडिय़ों के अनुसार देश में कपास आमद 10000/12000 गांठों से अधिक नहीं है। बाजार जानकार अलग-अलग सूत्रों के मुताबिक देश में अब तक लगभग 362.50 से 372 लाख गांठों का व्हाइट गोल्ड मंडियों में आ चुका है लेकिन देश के प्रसिद्ध निर्यातक व रूई कारोबारी दलीप भाई पटेल एम.डी. राजा इंडस्ट्रीज, कड़ी गुजरात के अनुसार चालू कपास सीजन वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक देश में 387 लाख गांठ घरेलू मंडियों में आ चुकी है और 13 लाख गांठों का व्हाइट गोल्ड मंडियों में आना अभी बाकी है। इस साल 4 करोड़ गांठ व्हाइट गोल्ड आमद होगी जबकि रनिंग गांठ 4.20 करोड़ होगी।

सूत्रों की मानें तो सी.सी.आई. व महाराष्ट्र फैडरेशन 37 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड सेल करने में कामयाब हो गए हैं। सी.सी.आई. के पास साल 2018-19 की 9.50 लाख गांठों का व्हाइट गोल्ड स्टाक था और सी.सी.आई. ने चालू कपास सीजन वर्ष 2019-20 के दौरान 1.04 करोड़ गांठ व्हाइट गोल्ड न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा है। कपड़ा मंत्रालय के उपक्रम भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सी.सी.आई.) के नए सी.एम.डी. प्रदीप कुमार अग्रवाल ने अप्रैल में अपना कार्य संभाल कर सबसे पहले रूई सेल नीति बनाई जो कई माह से ठप्प पड़ी थी।

सी.सी.आई. के चेयरमैन कम-मैनेजिंग डायरैक्टर प्रदीप कुमार ने अपने सहयोगी महाराष्ट्र फैडरेशन के साथ मिलकर अब तक 37 लाख गांठ  व्हाइट गोल्ड बेचने में कामयाब रहे हैं। भारतीय रूई व्यापार जगत में प्रदीप अग्रवाल की बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है। अग्रवाल की कोशिश है कि वह निगम का व्हाइट गोल्ड स्टाक आगामी नए कपास सीजन जो 1 अक्तूबर से शुरू होने जा रहा है, से पहले-पहले सेल कर दें।

सी.सी.आई. से 6 लाख गांठों से अधिक व्हाइट गोल्ड नार्थ जोन की मिलों ने भी खरीदी है। पंजाब व राजस्थान की बड़े घरानों की मिलें ही सी.सी.आई. से हाथ मिला रही हैं क्योंकि इनके पास धन की कोई कमी नहीं है। दूसरी तरफ उत्तरी क्षेत्रीय राज्यों सहित देश की अधिकांश कताई मिलों व रूई कमिशन एजैंट धन के लिए तरस रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि आगामी महीनों के दौरान भारतीय रूई बाजार मल्टीनैशनल कम्पनियां के हाथों में जा सकती है। यह मल्टीनैशनल कम्पनियां पहले रूई सेल करने वाली थी लेकिन अचानक ही कम्पनियों ने अपना फैसला बदल लिया है। मल्टीनैशनल कम्पनियों के पास धन की कोई कमी नहीं है।  

रूई निर्यात बढ़ा व आयात घटा
सूत्रों के मुताबिक भारत से विभिन्न देशों को अब तक करीब 49 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड निर्यात होने की सूचना है जबकि  8 लाख गांठों के सौदे हो चुके हैं। पिछले साल 41-42 लाख गांठों का निर्यात हुआ था। चालू कपास सीजन दौरान सबसे अधिक निर्यात बंगलादेश, वियतनाम व चीन को हुआ है। बंगलादेश व वियतनाम की अच्छी डिमांड है। दूसरी तरफ  इस साल पिछले साल के मुकाबले रूई आयात में कमी रही है। इस साल 14.50 लाख गांठों का आयात हुआ है जबकि साल 17 लाख गांठों का आयात रहा था।

रूई बाजार में तेजी का रुख
अगस्त माह शुरू होते ही रूई बाजार में सुधार आने लगा है। जुलाई माह के अंत में रूई कीमतें पंजाब में 3540 -3580 रुपए प्रति मन, हरियाणा 3540-3560  रुपए मन व राजस्थान 3490-3570 रुपए प्रति मन थे जो अब तेज होकर पंजाब में 3590-3620 रुपए प्रति मन, हरियाणा 3585-3620 रुपए प्रति मन व राजस्थान 3530-3620 रुपए प्रति मन पहुंच गए। दूसरी तरफ  मंदडिय़ों का मानना है कि रूई कीमतों में बड़ा उछाल नहीं है क्योंकि कताई मिलों को अभी कोई अधिक मुनाफा नहीं है। अभी तो कताई मिलों के खर्च ही पूरे हो रहे हैं।

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