Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Nov, 2023 06:19 PM
भारत को पहले मध्यम आय वाला देश बनना चाहिए और फिर भारतीय रुपए को दृढ़ मुद्रा बनाने पर जोर देना चाहिए। थिंक टैंक जीटीआरआई ने रविवार को एक रिपोर्ट में यह सुझाव दिया। इसके साथ ही जीटीआरआई ने कहा कि ऐसा होने तक स्थानीय मुद्रा में वैश्विक व्यापार के...
नई दिल्लीः भारत को पहले मध्यम आय वाला देश बनना चाहिए और फिर भारतीय रुपए को दृढ़ मुद्रा बनाने पर जोर देना चाहिए। थिंक टैंक जीटीआरआई ने रविवार को एक रिपोर्ट में यह सुझाव दिया। इसके साथ ही जीटीआरआई ने कहा कि ऐसा होने तक स्थानीय मुद्रा में वैश्विक व्यापार के निपटान को बढ़ावा देना चाहिए। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक, किसी भी मुद्रा को दृढ़ मु्द्रा बनाना एक जटिल प्रक्रिया है, जो कई महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करती है।
विदेश व्यापार के लिए विनिमय आसान हो और जिसके गिरने की आशंका बहुत कम हो, उसे दृढ़ मुद्रा कहते हैं। अमेरिकी डॉलर सबसे प्रमुख दृढ़ मुद्रा है, जिसे अक्सर दुनिया की प्राथमिक आरक्षित मुद्रा माना जाता है। इसका उपयोग अधिकांश अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में होता है। थिंक टैंक ने कहा कि आर्थिक स्थिरता सबसे ऊपर है, और किसी देश को कम तथा स्थिर मुद्रास्फीति, निरंतर वृद्धि और एक संतुलित व्यापार वातावरण के लिए काम करना चाहिए। आर्थिक स्थिरता अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और व्यापारिक साझेदारों के बीच भरोसे को मजबूत करती है।
जीटीआरआई ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह बाहरी संस्थाओं को देश की आर्थिक स्थिरता के बारे में आश्वस्त करती है। अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए दुनिया भर में दृढ़ मुद्राओं को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और इन्हें मूल्य का एक विश्वसनीय और स्थिर भंडार माना जाता है।