करोना इफैक्टः डिजिटल पेमेंट ने ATM कैश विदड्रॉल को पछाड़ा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jul, 2020 06:19 PM

corona effect digital payment overtakes atm cash withdrawal

कोरोना महामारी ने सामान्य जिदंगी को काफी हद तक अस्त व्यस्त कर दिया है। इस महामारी के कारण भारत की डिजिटल पेमेंट इकनॉमी की ओर बढ़ रहा है और कैश पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है। इस बदलाव से

बेंगलुरुः कोरोना महामारी ने सामान्य जिदंगी को काफी हद तक अस्त व्यस्त कर दिया है। इस महामारी के कारण भारत की डिजिटल पेमेंट इकनॉमी की ओर बढ़ रहा है और कैश पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है। इस बदलाव से अब लोग एटीएम से कैश निकालने से ज्यादा डिजिटल पेमेंट पर निर्भर होने लग गए है। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 की चौथी तिमाही में पहली बार ये देखने को मिला है कि कार्ड और मोबाइल पेमेंट ने एटीएम से निकलने वाले पैसों के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। इस दौरान कुल 10.57 लाख करोड़ रुपए की ट्रांजेक्शन कार्ड और मोबाइल पेमेंट के जरिए हुई, जबकि एटीएम से लोगों ने 9.12 लाख करोड़ रुपए ही निकाले।

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2019 में एटीएम कैश विदड्रॉल को पछाड़ने के बाद 2020 की पहली तिमाही में भी डिजिटल पेमेंट ने बाजी मार ली है। इस दौरान कुल 10.97 लाख करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन कार्ड और मोबाइल के जरिए हुआ, जबकि एटीएम विदड्रॉल में 5 फीसदी की गिरावट के साथ ये 8.66 लाख करोड़ रुपए रहा। कोरोना की वजह से भी डिजिल पेमेंट में काफी बढ़ोतरी हुई है।
 
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एस एंड पी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के फिनटेक एनालिस्ट संपत शर्मा नरियानूरी ने कहा- 'ये ट्रेंड अप्रैल और मई में चलता रहा, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोगों के कहीं आने जाने पर पाबंदी थी। इस दौरान भारत ने अमेरिका, यूके, थाईलैंड और सिंगापुर की तुलना में डिजिल पेमेंट में सबसे अधिक ग्रोथ दिखी। इसमें यूपीआई का बहुत बड़ा योगदान है।'

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बैंकर्स का कहना है कि अभी कुछ समय तक यही ट्रेंड चलता रहेगा। कोटक महिंद्रा बैंक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट शेखर भंडारी ने कहा- 'ये स्थिति नोटबंदी के बाद वाली स्थिति जैसी नहीं है। किसी को पता नहीं कि ये कोरोना वायरस की स्थिति कब तक सुधरेगी। अभी सुरक्षा के लिहाज से अधिक लोग कैश से शिफ्ट हो गए हैं और डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं।' वैसे तो अप्रैल में यूपीआई पेमेंट्स का आंकड़ा घटकर 1.51 लाख करोड़ पर आ गया था, वह मई में फिर से 2.18 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो कोरोना से पहले की स्थिति से भी अधिक है।

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