कपास का उत्पादन पड़ेगा नरम, कम बारिश बनेगी वजह

Edited By Supreet Kaur,Updated: 09 Oct, 2018 02:58 PM

cotton production will become less

वर्ष 2018-19 में भारत का कपास उत्पादन पिछले सीजन के मुकाबले 4.7 फीसदी घटकर 3.48 करोड़ गांठ होने के आसार हैं क्योंकि अपर्याप्त बारिश और पिंक बॉलवर्म हमले की वजह से फसल उत्पादन में कमी आने की आशंका है। उत्पादन में इस कमी के कारण शीर्ष उपभोक्ता चीन की...

नई दिल्लीः वर्ष 2018-19 में भारत का कपास उत्पादन पिछले सीजन के मुकाबले 4.7 फीसदी घटकर 3.48 करोड़ गांठ होने के आसार हैं क्योंकि अपर्याप्त बारिश और पिंक बॉलवर्म हमले की वजह से फसल उत्पादन में कमी आने की आशंका है। उत्पादन में इस कमी के कारण शीर्ष उपभोक्ता चीन की ओर से बढ़ती मांग और इसके परिणामस्वरूप वैश्विक दामों को मिल रहे प्रोत्साहन के बीच विश्व के इस सबसे बड़े फाइबर उत्पादक का निर्यात सीमित रह सकता है।

कपास के दाम पिछले सप्ताह नौ महीनों से भी ज्यादा के निचले स्तर पर चले गए थे और फिलहाल उसी के करीब चल रहे हैं। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने कहा कि सूखे मौसम की वजह से हमें गुजरात में उत्पादन में बड़ी गिरावट की आशंका है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जून-सितंबर के मॉनसून मौसम में देश के शीर्ष कपास उत्पादक राज्य गुजरात में सामान्य से 28 फीसदी कम बारिश हुई है। गनात्रा ने कहा कि देश के दूसरे सबसे बड़े कपास उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में पिंक बॉलवर्म आक्रमण के कारण उत्पादन 83 लाख गांठ से कम होकर 81 लाख गांठ होने के आसार हैं।

भारतीय किसानों ने आनुवांशिक रूप से संशोधित बीजों को अपनाया था जिन्हें बीटी कपास के नाम से जाना जाता है और ये बॉलवर्म के प्रतिरोधी होते हैं लेकिन इनसे यह संक्रमण नहीं रुक पाया। पिंक बॉलवर्म कपास के किसी पौधे के डोडे या फल के अंदर फाइबर और बीज से आहार लेता है और इससे उपज में गिरावट आ जाती है। देश के कुल कपास उत्पादन में गुजरात और महाराष्ट्र का योगदान आधे से अधिक रहता है। बता दें कि पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और वियतनाम भारतीय कपास के प्रमुख खरीदार हैं। 
 

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