Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Nov, 2019 11:15 AM
उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है कि समायोजिक सकल राजस्व (एजीआर) के उच्चतम न्यायालय के फैसले से न केवल दूरसंचार क्षेत्र धाराशायी होगा बल्कि इसका बिजली, इस्पात और रेलवे समेत दूसरे क्षेत्रों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
नई दिल्लीः उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है कि समायोजिक सकल राजस्व (एजीआर) के उच्चतम न्यायालय के फैसले से न केवल दूरसंचार क्षेत्र धाराशायी होगा बल्कि इसका बिजली, इस्पात और रेलवे समेत दूसरे क्षेत्रों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महांसघ (फिक्की) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में दूरसंचार क्षेत्र की समस्याओं के समाधान को लेकर तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है। पत्र में लिखा गया है कि जहां एक तरफ दुनिया भर की कंपनियां 5 जी, कृत्रिम मेधा (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकयों में नए अवसर तलाश रही है, वहीं कर्ज में डूबे भारतीय दूरसंचार उद्योग में नेटवर्क और भविष्य की प्रौद्योगिकी में निवेश को लेकर कोई इच्छा नहीं बची है।
फिक्की ने कहा, ‘‘दूरसंचार क्षेत्र के कई क्षेत्रों पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव को देखते हुए यह जरूरी है कि क्षेत्र बेहतर और गतिशील बना रहे।'' उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर 2019 को दूरसंचार राजस्व आकलन के सरकार के तरीके को सही माना। इसके तहत लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्कों की गणना की जाती है। इस आदेश के तहत शुरूआती अनुमान के अनुसार एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार परिचालकों को सरकार को तीन महीने के भीतर 1.33 लाख करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ सकता है।