Edited By ,Updated: 13 Feb, 2017 12:37 PM
कच्चा तेल महंगा होने से सरकारी संतुलन बिगड़ने के साथ ही घरेलू यात्रियों के लिए देश में हवाई यात्रा भी महंगी होगी, जिससे जेट फ्यूल महंगा होने से एयरलाइन कंपनियां घरेलू किराए में बढ़ौतरी करने में मजूबर हो जाएंगी।
मुंबईः कच्चा तेल महंगा होने से सरकारी संतुलन बिगड़ने के साथ ही घरेलू यात्रियों के लिए देश में हवाई यात्रा भी महंगी होगी, जिससे जेट फ्यूल महंगा होने से एयरलाइन कंपनियां घरेलू किराए में बढ़ौतरी करने में मजूबर हो जाएंगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम के हिसाब से देश में हवाई किराया चल रहा है, जो पिछले साल रिकॉर्ड लो पर आ गया था।
जेट फ्यूल के दाम में बढ़ौतरी होने से जनवरी में ज्यादा किराया था, जो देश के सबसे व्यस्त नई दिल्ली एयरपोर्ट के नवंबर के फेयर से 8 फीसदी ज्यादा था। लोकल एयर फेयर दिसंबर में मंदी के बाद जनवरी और फरवरी में फिर बढ़ गया और 2015 के लेवल से ज्यादा हो गया। तब किराए में गिरावट का दौर शुरू हुआ था। इस ट्रेंड के चलते एयरलाइन कंपनियों ने बड़े फ्यूल का बोझ पैसेंजर्स पर डाल दिया है।
एयरलाइन पैसेंजर्स में बहुत से ऐसे हैं जो 2016 में एयर और अपर क्लास ट्रेन फेयर का गैप घटने के चलते हवाई यात्रा करने लगे थे। शेयर मार्कीट के हिसाब से देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के एक सीनियर एग्जिक्युटिव के मुताबिक एयरलाइन ने हाल ही में फिर से डोमेस्टिक फ्लाइट्स पर फ्यूल सरचार्ज वसूलना शुरू कर दिया है। यह राशि जेट फ्यूल के दाम में उतार-चढ़ाव के हिसाब से तय होती है। उन्होंने कहा, 'हम शॉर्ट और लॉन्ग ड्यूरेशन के हिसाब से 100 से 300 रुपए वसूल करते रहे हैं। अब हम 700 रुपए तक ले रहे हैं।' भारतीय एयरलाइन कंपनियों की लागत का बड़ा हिस्सा जेट फ्यूल का होता है।