ED ने यूपीए शासन के दौरान एयर इंडिया के सौदों में मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Oct, 2018 06:01 PM

ed files money laundering cases into air india deals inked during upa tenure

नकदी संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया नई मुश्किल में घिर गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विवादास्पद विलय समेत यूपीए सरकार के दौरान के कम से

नई दिल्लीः नकदी संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया नई मुश्किल में घिर गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विवादास्पद विलय समेत यूपीए सरकार के दौरान के कम से कम 4 सौदों में अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोंपों की जांच के लिए कई आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। 

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि जांच एजेंसी ने कम से कम 4 प्रवर्तन प्रकरण सूचना रिपोर्ट यानी एनफोर्समेंट केस इन्फर्मेशन रिपोर्ट्स (ECIRs) दर्ज की हैं, जो पुलिस एफआईआर के बराबर हैं। ईसीआईआर धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज की गई हैं। उन्होंने बताया कि ईडी ने इन मामलों के सिलसिले में एयरलाइंस और अन्य विभागों से प्रासंगिक दस्तावेज हासिल कर लिए हैं। उन दस्तावेजों को 'राजनीतिक रुप से संवेदनशील' बताया गया है। 

अधिकारियों के अनुसार जांच एजेंसी यह पता लगाने के लिए खास ऐंगल से जांच करेगी कि क्या कथित अनियमितताओं से कालाधन पैदा हुआ और क्या आरोपियों ने अवैध संपत्ति बनाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग किया। ईडी के ये मामले सीबीआई की 4 प्राथमिकियों पर आधारित हैं। सीबीआई के अनुसार यूपीए सरकार के दौरान 2 मामले एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विवादास्पद विलय और इन दोनों कंपनियों द्वारा विमानों की खरीद और उन्हें लीज पर देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित हैं। अन्य दो मामलों का संबंध एयर इंडिया के अच्छी कमाई वाले मार्गों और उड़ान समयों को देश-विदेश की निजी कंपनियों को सौंपे जाने और एयरलाइन के लिए सॉफ्टवेयर की खरीद में कथित गड़बड़ी से है। 

एयर इंडिया के अच्छी कमाई वाले मार्गों और उड़ान समयों को सौंपे जाने से सरकारी खजाने को कथित रुप से 'बड़ा' नुकसान हुआ। उम्मीद है कि ईडी इस मामले में संलिप्त अधिकारियों एवं अन्य लोगों को शीघ्र ही पेशी के लिए समन जारी करेगी। सीबीआई ने एयर इंडिया और नागर विमानन के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मामले दर्ज किए थे। ये मामले दर्ज करते हुए सीबीआई ने पिछले साल कहा था कि ये प्रकरण यूपीए शासन के दौरान मंत्रालय द्वारा लिए गए निर्णयों से संबंधित हैं और उनसे सरकारी खजानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। 

आरोप है कि विदेशी विमान विनिर्माण कंपनियों को फायदा पहुंचाने के वास्ते इन सरकारी कंपनियों के लिए 70,000 करोड़ रुपए के 111 विमान खरीदे गए। सीबीआई ने आरोप लगाया था, 'ऐसी खरीददारी से पहले से ही संकट से गुजर रही सरकारी विमानन कंपनी को कथित वित्तीय नुकसान हुआ।' भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 2011 में सरकार के 2006 में करीब 70,000 करोड़ रुपए में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के लिए एयरबस और बोइंग से 111 विमान खरीदने के फैसले के औचित्य पर सवाल उठाया था। 
 

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