कोरोना काल में EPFO दे रहा 7 लाख रुपए का कोरोना इंश्योरेंस कवर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 May, 2021 06:08 PM

epfo giving corona insurance cover of rs 7 lakhs during

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) कोरोना काल में अपने सदस्यों को 7 लाख रुपए के कोरोना जीवन बीमा की सुविधा भी दे रहा है। ईपीएफओ के सभी सदस्य कर्मचारी, इंप्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम 1976 (EDLI) के तहत कवर होते हैं।

बिजनेस डेस्कः कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) कोरोना काल में अपने सदस्यों को 7 लाख रुपए के कोरोना जीवन बीमा की सुविधा भी दे रहा है। ईपीएफओ के सभी सदस्य कर्मचारी, इंप्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम 1976 (EDLI) के तहत कवर होते हैं। श्रम मंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता वाले EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने 9 सितंबर, 2020 को EDLI योजना के तहत अधिकतम बीमा राशि बढ़ाकर 7 लाख रुपए करने का निर्णय किया था। 

EDLI स्कीम के तहत क्लेम मेंबर कर्मचारी के नॉमिनी की ओर से इंप्लॉई की किसी बीमारी से मृत्यु, दुर्घटना में मृत्यु या स्वाभाविक मृत्यु होने पर किया जा सकता है। कोविड-19 से होने वाली मृत्यु के मामले में भी क्लेम किया जा सकता है। EDLI स्कीम का कवर अब उन कर्मचारियों के पीड़ित परिवार के लिए भी है, जिन्होंने मृत्यु से ठीक पहले 12 महीनों के अंदर एक से अधिक प्रतिष्ठानों में नौकरी की हो।

क्लेम के पैसों का भुगतान एकमुश्त
EDLI स्कीम में क्लेम के पैसों का भुगतान एकमुश्त होता है। EDLI में इंप्लॉई को कोई रकम नहीं देनी होती है। इसमें केवल कंपनी की ओर से योगदान होता है। अगर स्कीम के तहत कोई नॉमिनेशन नहीं हुआ है तो कवरेज के मृत कर्मचारी का जीवनसाथी, कुंवारी बच्चियां और नाबालिग बेटा/बेटे लाभार्थी होंगे। मरने वाला मेंबर इंप्लॉई EPF का एक्टिव कॉन्ट्रीब्यूटर होना चाहिए यानी उसकी मौत के वक्त तक उसकी ओर से पीएफ में योगदान जारी होना चाहिए।

न्यूनतम बीमा राशि कितनी हुई
सीबीटी ने 14 फरवरी 2020 के बाद न्यूनतम बीमा राशि 2.5 लाख रुपए बरकरार रखने का भी निर्णय किया था, जो 15 फरवरी 2020 से लागू हो गई है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 28 अप्रैल को ईडीएलआई योजना के तहत अधिकतम बीमा राशि बढ़ाकर 7 लाख रुपए करने के फैसले को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना की तारीख से ही यह बढ़ी हुई लिमिट लागू हो गई है।

कंपनी की ओर से कितना योगदान
ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और DA का 12 फीसदी इम्प्लाइ प्रोविडेंट फंड (EPF) में जाता है। 12 फीसदी का ही योगदान कंपनी/नियोक्ता की ओर से भी होता है लेकिन नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी इंप्लॉई पेंशन स्कीम EPS में चला जाता है और बाकी EPF में लेकिन, नियोक्ता की ओर से योगदान यहीं तक सीमित नहीं होता है। EDLI स्कीम में केवल कंपनी की ओर से प्रीमियम जमा होता है, जो कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 0.50 फीसदी होता है। हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि अधिकतम बेसिक सैलरी लिमिट 15 हजार रुपए ही काउंट होगी, फिर चाहे कर्मचारी का वास्तविक बेसिक वेतन कितना ही ज्यादा क्यों न हो।

इस प्रकार होती है क्लेम की गणना
ईडीएलआइ स्कीम में क्लेम की गणना कर्मचारी को मिली आखिरी 12 माह की बेसिक सैलरी व डीए के आधार पर होती है। बताया जा रहा है कि इस इंश्योरेंस का क्लेम कवर आखिरी बेसिक सैलरी और डीए का 35 गुना होगा, जो पहले 30 गुना होता था। मान लीजिए आखिरी 12 माह की बेसिक सैलरी व डीए 15 हजार रुपए है तो इंश्योरेंस क्लेम 35 गुना 15 हजार प्लस एक लाख 75 हजार रुपए यानि सात लाख होगा।

ऐसे होगा दावा
अगर ईपीएफ सदस्य की असमय मृत्यु हुई है, तो उसके नामिनी या उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कवर के लिए क्लेम कर सकेंगे। क्लेम करने वाला 18 साल से कम है तो उसकी तरफ से उसका अभिभावक क्लेम कर सकता है। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को इम्प्लाइ की मृत्यु का प्रमाण पत्र, सक्सेशन सर्टिफिकेट, माइनर नामिनी की ओर से आवेदन करने वाले गार्जियन सर्टिफिकेट व बैंक डिटेल्स देना होगा।

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