Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Jun, 2018 06:52 PM
देश में 2017-18 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करीब 3 प्रतिशत बढ़कर 61.96 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सरकार के कारोबारी माहौल में सुधार और एफडीआई नीतियों को उदार बनाने के चलते यह वृद्धि हासिल की गई।
नई दिल्लीः देश में 2017-18 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करीब 3 प्रतिशत बढ़कर 61.96 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सरकार के कारोबारी माहौल में सुधार और एफडीआई नीतियों को उदार बनाने के चलते यह वृद्धि हासिल की गई। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने आज यह जानकारी दी। इसमें इक्विटी निवेश, पुर्ननिवेश की गई आय और अन्य पूंजी शामिल है। इससे पिछले वित्त वर्ष (2016-17) में देश ने 60 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आर्किषत किया था।
रमेश अभिषेक ने कहा कि मोदी सरकार के 4 साल के दौरान विदेशी पूंजी निवेश उछलकर 222.75 अरब डॉलर रहा, जो कि इससे पिछले 4 वर्षों के दौरान 152 अरब डॉलर रहा था। पिछले 4 वर्षों में सरकार ने रक्षा, चिकित्सा उपकरण, निर्माण विकास, खुदरा और नागर विमानन जैसे क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार बनाया है।
अत्यधिक विदेशी निवेश प्राप्त करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में सेवा, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दूरसंचार, निर्माण, ट्रेडिंग और वाहन शामिल है। भारत में विदेशी निवेश के प्रमुख स्त्रोतों में मॉरीशस, सिंगापुर, जापान, नीदरलैंड, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात हैं। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2016 के 44 अरब डॉलर की तुलना में 2017 में घटकर 40 अरब डॉलर रह गया। जबकि इस दौरान भारत से दूसरे देशों में होने वाला विदेशी निवेश दोगुने से भी अधिक रहा।