रियल्टी कारोबारियों को फ्लैट बेचने में हर संभव मदद कर रहीं वित्तीय कंपनियां

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Apr, 2018 12:59 PM

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गैर-ूबैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एन.बी.एफ.सी.) तथा मकान के एवज में कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान रियल्टी कारोबारियों को उनके तैयार मकानों को बेचने में मदद करने के हर हथकंडे अपना रहे हैं ताकि उनका पैसा सुरक्षित रह सके।

मुंबईः गैर-ूबैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एन.बी.एफ.सी.) तथा मकान के एवज में कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान रियल्टी कारोबारियों को उनके तैयार मकानों को बेचने में मदद करने के हर हथकंडे अपना रहे हैं ताकि उनका पैसा सुरक्षित रह सके। रियल्टी क्षेत्र अभी भी नोटबंदी, रेरा तथा जी.एस.टी. जैसे आर्थिक सुधारों से हुए जख्म से उबरने की कोशिश में लगा है। रियल्टी क्षेत्र में एन.बी.एफ.सी. तथा मकान के एवज में कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों का काफी कर्ज है।

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार रियल्टी क्षेत्र के कुल 4,000 अरब रुपए के ऋण में एन.बी.एफ.सी. तथा संपत्ति बंधक वित्तीय संस्थानों का कर्ज हिस्सा 2,200 अरब रुपए है। यह वाणिज्यिक बैंकों के 1800 अरब रुपए की तुलना में काफी अधिक है। इन्हें डर है कि 5 लाख से अधिक तैयार फ्लैटों के नहीं बिक पाने तथा मांग के बेहद कम होने के कारण रियल्टी कारोबारियों के दिवालिया होने की आशंकाएं अधिक हैं। इससे निकट भविष्य में उनकी संपत्तियों के अनुत्पादक होने का जोखिम भी बढ़ जाएगा।

रियल्टी क्षेत्र में परामर्श देने वाली कंपनी एसआईएलए के प्रबंध निदेशक एवं संस्थापक साहिल वोरा ने कहा, "छोटे तथा मध्यम रियल्टी कारोबारियों को ऋण देने वाले एन.बी.एफ.सी. गंभीरता से वसूली करेंगे। हमारा मानना है किए एन.बी.एफ.सी. का रियल्टी क्षेत्र से जुड़ी गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एन.पी.ए.) में 2018 में वृद्धि होगी। ये ऋणदाता छोटी रियल्टी कंपनियों पर इस बात का दबाव भी डाल सकती हैं कि वे बड़ी रियल्टी कंपनियों में अपना विलय करें।" रियल्टी संबंधी परामर्श देने वाली कंपनी जेएलएल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के अंत तक प्रमुख शहरों में करीब 4.40 लाख आवासीय इकाइयां बिना बिके तैयार थीं।  

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