Air India के लिए बोली लगा सकती हैं विदेशी एयरलाइंस

Edited By Supreet Kaur,Updated: 13 Apr, 2018 10:24 AM

foreign airlines can bid for air india

जैट एयरवेज, टाटा ग्रुप और इंडिगो एयरलाइंस एयर इंडिया के निजीकरण के लिए बोली लगाने से किनारा कर चुकी हैं। यानी कि भारतीय कंपनियों को अब इसमें कोई रूचि नहीं रही। हालांकि महाराजा का दर्जा प्राप्त एयर इंडिया के लिए सारे दरवाजे बंद नहीं हुए हैं। कुछ...

नई दिल्लीः जैट एयरवेज, टाटा ग्रुप और इंडिगो एयरलाइंस एयर इंडिया के निजीकरण के लिए बोली लगाने से किनारा कर चुकी हैं। यानी कि भारतीय कंपनियों को अब इसमें कोई रूचि नहीं रही। हालांकि महाराजा का दर्जा प्राप्त एयर इंडिया के लिए सारे दरवाजे बंद नहीं हुए हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रमुख विदेशी एयरलाइंस ने एयर इंडिया को खरीदने में अपनी दिलचस्पी दिखाई है।

विदेशी एयरलाइंस ने दिखाई रुचि
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 3 प्रमुख विदेशी एयरलाइंस एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीद सकती हैं। इसमें ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्थांसा और सिंगापुर एयरलाइंस शामिल हैं। ये तीनों ही विनिवेश प्रस्ताव पर विचार कर रही हैं। 28 मार्च, 2018 को सरकार ने फैसला किया था कि वह अपने पास सिर्फ 24 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेगी और एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच देगी। सरकार ने इसके लिए रणनीतिक विनिवेश की तैयारी भी कर ली है। सरकार को यह फैसला एयर इंडिया के बढ़ते कर्ज को देखकर लेना पड़ा है। हालांकि सरकारी विमानन कंपनी धीरे-धीरे अपने कर्ज से उबर रही है।

एयर इंडिया को खरीदना खरीदार के लिए कितना बेहतर
सरकारी विमानन कंपनी में आकर्षित करने लायक क्या है अगर इसकी बात की जाए तो वह यकीनन एयर इंडिया का फ्लीट साइज होगा। 115 एयरक्राफ्ट के साथ एयर इंडिया का बेड़ा इंडिगो के बाद दूसरे नंबर पर है। एयर इंडिया निवेशकों को मौका दे रही है कि वह इसे दुनिया के सबसे बड़े बाजार के रूप में विस्तार दे पाए। भारत आने और जाने वाले यात्रियों की पहली पसंद एयर इंडिया होती है, यानी यह अधिकांश यात्रियों को लेकर उड़ान भरती है। अगर कोई निवेशक इस विमानन कंपनी को खरीदता है तो उसे बना-बनाया बाजार मिलेगा, साथ ही उसे घरेलू स्तर पर उड़ान के लिए जरूरतों की पूर्ति भी आसानी से पूरी हो जाएगी। इस प्रक्रिया में आमतौर पर वर्षों लगते हैं।

देश के मुख्य हवाई अड्डों पर क्षमता की कमी
भारतीय विमानन में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक मुम्बई और नई दिल्ली में अपने मुख्य हवाई अड्डों पर क्षमता की कमी है। मुम्बई हवाई अड्डा पहले से ही खचाखच भरा हुआ है और जब तक सुविधा का विस्तार नहीं किया जाता है तब तक कोई भी एयरलाइन कोई भी उड़ानें नहीं जोड़ सकती है। एयर इंडिया के पास मुम्बई में पहले से ही स्लॉट है। इसकी मदद से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स तुरंत उड़ानें भर सकती हैं।

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