सितंबर में FPI ने भारतीय बाजार से 7,600 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Oct, 2022 02:26 PM

fpis netted rs 7 600 crore from the indian market in september

दो महीने तक शुद्ध लिवाल रहने के बाद विदेशी निवेशकों ने सितंबर में फिर से बिकवाली पर जोर दिया और भारतीय शेयर बाजारों से 7,600 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी कर ली। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक भारतीय...

बिजनेस डेस्कः दो महीने तक शुद्ध लिवाल रहने के बाद विदेशी निवेशकों ने सितंबर में फिर से बिकवाली पर जोर दिया और भारतीय शेयर बाजारों से 7,600 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी कर ली। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक भारतीय बाजारों से कुल 1.68 लाख करोड़ रुपए की निकासी की है। 

जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी एफपीआई की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला कायम रहने की संभावना है। उन्होंने इसके लिए वैश्विक कारकों के अलावा घरेलू कारणों को भी जिम्मेदार माना है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, "मौजूदा वैश्विक मुद्रास्फीति के बीच ब्रिटिश सरकार की राजकोषीय नीतियों ने वैश्विक मुद्रा बाजार पर गहरा असर डाला है और इक्विटी बाजारों में भी जोखिम से दूर रहने की धारणा बनी है।" उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान में आंशिक गिरावट के अलावा ईंधन से संबंधित कुछ चिंताएं भी हैं।

डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने सितंबर में 7,624 करोड़ रुपए मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की है। इसके पहले अगस्त में उन्होंने भारतीय बाजार में 51,000 करोड़ रुपए और जुलाई में करीब 5,000 करोड़ रुपए मूल्य की शुद्ध खरीदारी की थी। हालांकि उसके पहले लगातार नौ महीनों तक एफपीआई भारतीय बाजारों में शुद्ध बिकवाल बने हुए थे। अक्टूबर 2021 से लेकर जून 2022 के दौरान एफपीआई ने भारतीय बाजारों से निकासी ही की। जहां तक सितंबर 2022 का सवाल है तो एफपीआई ने इस महीने की शुरुआत सकारात्मक अंदाज में ही की थी। 

मॉर्निंगस्टार इंडिया के सह निदेशक-शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, "बाद में रुपए की कीमत में आ रही गिरावट और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने एवं फेडरल रिजर्व की ब्याज दर बढ़ने जैसे कारणों से विदेशी निवेशकों के बीच निराशावादी धारणा हावी होती गई।" रुपए की कीमत में गिरावट आने से भी एफपीआई की निकासी को बल मिला। वीकेंड इंवेस्टिंग के संस्थापक एवं स्मालकेस प्रबंधक आलोक जैन ने कहा, "सितंबर में डॉलर के मजबूत होने से निवेशक इसकी सुरक्षा का रुख करने लगे हैं। आने वाले समय में रुपए की कीमत में और भी गिरावट देखी जा सकती है लिहाजा निवेशकों में फिलहाल यहां से निकलने और बाद में लौटने की प्रवृत्ति नजर आ सकती है।" 

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