Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Jul, 2023 03:09 PM
टमाटर और सब्जियों की महंगाई की मार झेल रही जनता को आने वाले दिनों में घी और मक्खन की कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल सरकार घी और मक्खन पर माल एवं सेवा कर यानी जी.एस.टी. की दरों को कम करने का प्रस्ताव लाने वाली है।
जालंधर: टमाटर और सब्जियों की महंगाई की मार झेल रही जनता को आने वाले दिनों में घी और मक्खन की कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल सरकार घी और मक्खन पर माल एवं सेवा कर यानी जी.एस.टी. की दरों को कम करने का प्रस्ताव लाने वाली है। सूत्रों का कहना है कि घी और मक्खन दोनों पर 12 फीसद की दर से जी.एस.टी. लगता है और केंद्र सरकार इसे घटाकर पांच फीसद करने की तैयारी कर रही है।
डेयरी विभाग ने सरकार को भेजा है प्रस्ताव
दूध की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और लोगों को इससे भी राहत नहीं मिल पाई है। पिछले एक साल में दूध 10.1 फीसद और 3 साल में 21.9 फीसद महंगा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सरकार से घी और मक्खन पर जी.एस.टी. कम करने का अनुरोध किया है। विभाग ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि वह इसे लेकर जीएसटी फिटमेंट कमेटी के सामने प्रस्ताव रखे है। उसके बाद प्रस्ताव को जी.एस.टी. परिषद के सामने रखा जा सकता है। अपने प्रस्ताव में डेयरी विभाग ने कहा है कि अगर आप घी को लग्जरी प्रोडक्ट की कैटेगरी में रखते हैं और इस पर 12 फीसद जीएसटी स्लैब लगाते हैं तो इसका नुकसान उपभोक्ताओं के साथ किसानों को भी होगा।
किसानों पर ऐसे अपड़ रहा है असर
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष रुपिंदर सिंह सोढ़ी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाम का तेल बाहर से आयात किया जाता है, लेकिन उस पर सिर्फ पांच फीसद ही जी.एस.टी. लगता है, लेकिन घी और मक्खन पर 12 फीसद जीएसटी देय है। सोढ़ी ने बताया कि घी पर 12 फीसद जीएसटी लगाने का मतलब है प्रति किलोग्राम पर 70 रुपये की बढ़ोतरी। एक किलो घी बनाने में 12 से 14 लीटर दूध लगता है। इससे किसानों को पांच से छह रुपये ज्यादा कमाने का मौका तो मिलता है, लेकिन बाद में उन्हें 12 फीसद जीएसटी की वजह से महंगा घी खरीदना पड़ता है। इस तरह देखा जाए तो सरकार न सिर्फ उपभोक्ताओं पर टैक्स लगा रही, बल्कि किसानों पर भी इसका असर पड़ता है।