कोरोना संकट के बीच गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल के मुकाबले अधिक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 May, 2020 06:15 PM

government procurement of wheat more than last year amid corona crisis

कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए आवागमन पर लागू पाबंदियों के बाद भी इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद अब तक 3.415 करोड़ टन तक पहुंच गई है। यह पिछले साल के तीन करोड़

नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए आवागमन पर लागू पाबंदियों के बाद भी इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद अब तक 3.415 करोड़ टन तक पहुंच गई है। यह पिछले साल के तीन करोड़ 41.3 लाख टन की खरीद से ज्यादा हो गया है। सरकार ने 2020-21 में 4.07 करोड़ टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है। गेहूं की खरीद अप्रैल से जून के बीच चलती है। इस बाद पाबंदियों के चलते खरीद देरी से शुरू हुई। 

कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी इनकी
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियां, ​​न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीद का कार्य करती हैं। खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चालू विपणन वर्ष में 24 मई तक कुल गेहूं खरीद तीन करोड़ 41.5 लाख टन हो गई है, जो पिछले साल की तीन करोड़ 41.3 लाख टन की खरीद से ज्यादा है। इसमें से पंजाब में एक करोड़ 25.8 लाख टन, मध्य प्रदेश में एक करोड़ 13.3 लाख टन, हरियाणा में 70.6 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 20.3 लाख टन, उत्तराखंड में 31,000 टन, गुजरात में 21,000 टन, चंडीगढ़ में 12,000 टन और हिमाचल में 3,000 टन गेहूं की खरीद हुई है। इस वर्ष 24 मार्च को लॉकडाउन (प्रतिबंध) कामकाज रुक गए। फसल तब तक पक चुकी थी और कटाई के लिए तैयार थी।
 
मंत्रालय ने दौरान कृषि और संबंधित गतिविधियों को शुरू करने के लिए छूट दी और प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य 15 अप्रैल से खरीद का काम शुरू कर सके। हरियाणा ने खरीद का यह काम 20 अप्रैल से शुरु किया। मंत्रालय ने कहा कि यह काम जागरूकता सृजन, सामाजिक दूरी कायम रखने और प्रौद्योगिकी उपयोग जैसी बहु-आयामी रणनीति के माध्यम से किया जा सका। क्रय केंद्रों पर किसानों की भीड़ कम करने के लिए ऐसे केंद्रों की संख्या में काफी वृद्धि की गई। ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध हर सुविधा का उपयोग किया गया।

पंजाब में खरीद केन्द्रों की संख्या 1,836 से बढ़कर 3,681,हरियाणा में 599 से बढ़ाकर 1,800 तथा मध्य प्रदेश में यह संख्या 3,545 से बढ़ाकर 4,494 रखी गई थी। पंजाब में, प्रत्येक किसान को स्टॉक रखने के लिए निर्धारित विशिष्ट स्थान आवंटित किए गए थे और किसी और को उन क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। केवल वे लोग जो कारोबार से सीधे जुड़े हुए थे, उन्हें दैनिक नीलामी के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति दी गई थी। 

खरीद एजेंसियों को तीन बड़ी चुनौतियों का  करना पड़ा सामना
मंत्रालय ने कहा कि वायरस के प्रसार के खतरे के अलावा, खरीद एजेंसियों को तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जिसमें जूट बोरियों की अनुपलब्धता थी क्योंकि सभी जूट मिलें बंद थीं। इसे अधिक प्लास्टिक बैग के उपयोग के जरिए दूर किया गया। दूसरी समस्या बेमौसम की बरसात के कारण गेहूं फसल को संरक्षित करना था। इसने किसानों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर दिया क्योंकि सामान्य मानक नियमों के तहत ऐसे फसल की खरीद में दिक्कत आ सकती थी। 

ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार और एफसीआई ने तुरंत हस्तक्षेप किया और विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण करने के बाद, यह सुनिश्चित करने के लिए विनिर्देशों को फिर से तय किया गया कि किसी भी किसान को संकट में नहीं फंसना पड़े, और उनकी उत्पादित उपज उपभोक्ताओं की न्यूनतम गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा कर सके। तीसरी चुनौती, मजदूरों की कमी के साथ साथ वायरस के बारे में जनता के बीच सामान्य भय था। मजदूरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मास्क, सैनिटाइटर आदि प्रदान करने के साथ साथ अन्य एहतियाती उपाय भी किए गए।

गेहूं का रिकॉर्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान
मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत सरकार, एफसीआई, राज्य सरकारें और उनकी एजेंसियों के समन्वित प्रयासों के साथ, सभी गेहूं उत्पादक राज्यों में इस अनाज की खरीद का काम बहुत सुचारू रूप से किया जा सका। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अनुमान में इस बार गेहूं उत्पादन के 10 करोड़ 71.8 लाख टन के सर्वकालिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में 10.36 करोड़ टन गेहूं पैदा हुआ था। 

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