Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 May, 2021 04:19 PM
केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि उसने अप्रैल में शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 400.45 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जिसकी लागत 79,088 करोड़ रुपए आई है। नवंबर 2020 के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच गेहूं की रिकॉर्ड खरीद हासिल की...
नई दिल्लीः केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि उसने अप्रैल में शुरू हुए चालू विपणन वर्ष में रिकॉर्ड 400.45 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जिसकी लागत 79,088 करोड़ रुपए आई है। नवंबर 2020 के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच गेहूं की रिकॉर्ड खरीद हासिल की गई है। किसान संघ तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2021-22 के चालू रबी चिपणन सत्र में गेहूं की खरीद एमएसपी पर सुचारू रूप से जारी है, जैसा कि पिछले सत्र में भी किया गया था। गेहूं की खरीद 27 मई तक 400.45 लाख टन की हो चुकी है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 353.09 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। एक सरकारी बयान में कहा गया, "एमएसपी मूल्य (जो लगभग 79,088.77 करोड़ रुपए है) पर चल रहे खरीद अभियान से लगभग 42.36 लाख किसान पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं।''
खरीद पूरे 2020-21 विपणन वर्ष में हासिल किए गए 389.92 लाख टन के पिछले उच्च स्तर को पार कर गई है। रबी विपणन सत्र 2021-22 अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन अधिकांश खरीद जून में होती है। सरकारी स्वामित्व वाली संस्था भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए प्रमुख एजेंसी है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत, केंद्र लगभग 80 करोड़ लोगों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो गेहूं और चावल की बिक्री 2-3 रुपए प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर करता है।