विदेशी निधि प्रवाह में 2011 के बाद आई बड़ी गिरावट

Edited By Supreet Kaur,Updated: 05 May, 2018 08:38 AM

great decline since 2011 in foreign fund flows

वर्तमान कैलेंडर वर्ष में शुरूआती 4 माह विदेशी निधि प्रवाह (फारेन फंड फ्लो) के संदर्भ में पिछले 7 वर्षों में सबसे खराब रहे हैं तथा इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली है। आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफ.पी.आई.) ने इक्विटी...

नई दिल्लीः वर्तमान कैलेंडर वर्ष में शुरूआती 4 माह विदेशी निधि प्रवाह (फारेन फंड फ्लो) के संदर्भ में पिछले 7 वर्षों में सबसे खराब रहे हैं तथा इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली है। आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफ.पी.आई.) ने इक्विटी में केवल 8,460 करोड़ लगाए हैं, जो जनवरी-अप्रैल 2011 की अवधि के 4,712 करोड़ के बाद न्यूनतम है।

वर्ष 2013 में शुरूआती 4 महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 60,000 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की थी। बाजार प्रतिभागियों के अनुसार इस वर्ष मंद प्रवाहों को उभरते बाजारों में मंदी के वातावरण के साथ जोड़कर भी देखा जा सकता है जिससे भारत भी अछूता नहीं है। पश्चिम एशिया में तनाव, अमरीका और चीन के बीच संभावित व्यापार, युद्ध की बढ़ती चिंता, तेल की कीमतों में होती वृद्धि जैसे कारणों से अनिश्चितताएं उच्च स्तर पर बनी हुई हैं जिससे उभरते बाजारों में विदेशों से फंडों का प्रवाह बाधित हो रहा है।

निवेशकों को विश्वास है कि अमरीका में निवेश करके अधिक धन कमा सकते हैं क्योंकि वहां ब्याज दरें बढ़ रही हैं। वर्तमान कैलेंडर वर्ष में जनवरी माह में एफ.पी.आई. 13,781 करोड़ के शुद्ध खरीदार थे, लेकिन फरवरी माह में इन्होंने 11,423 करोड़ की बिक्री की। तत्पश्चात मार्च माह में 11,654 करोड़ की शुद्ध खरीदारी की गई। अप्रैल माह में एफ.पी.आई. ने 5,552 करोड़ की शुद्ध बिक्री की। ई.पी.एफ.आर. ग्लोबल के अनुसार भारतीय इक्विटी फंडों में चीन की तुलना में अधिक बाह्य प्रवाह देखा गया जबकि भारत की संवृद्धि दर चीन से ज़्यादा थी। सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि 31 दिसम्बर 2017 को समाप्त तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की गति से बढ़ी, जबकि चीन में यह वृद्धि 6.8 प्रतिशत थी। तेल की ऊंची कीमतों के कारण चालू खाता घाटे पर प्रभाव, नोटबंदी के कारण बैंकिंग तंत्र पर प्रभाव और बैड लोन जैसे कारणों से 
निवेशकों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

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