GST:छोटे ट्रेडर्स और रैस्टोरैंट्स को बड़ी राहत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jun, 2017 10:37 AM

gst  great relief to small traders and rostorets

गुड्स एंड सॢवसेज टैक्स (जी.एस.टी.) के तहत अब सालाना 75 लाख रुपए तक कारोबार करने वाले ट्रेडर, मैन्युफैक्चरर और रैस्टोरैंट या ढाबा 1 से 5 प्रतिशत

नई दिल्लीः गुड्स एंड सॢवसेज टैक्स (जी.एस.टी.) के तहत अब सालाना 75 लाख रुपए तक कारोबार करने वाले ट्रेडर, मैन्युफैक्चरर और रैस्टोरैंट या ढाबा 1 से 5 प्रतिशत तक फ्लैट जी.एस.टी. चुकाकर लंबे-चौड़े रिटर्न व बुक्स मैंटेन करने से बच सकते हैं। जी.एस.टी. काऊंसिल की 16वीं बैठक में रवि0वार को ऐसे कारोबारियों के लिए कम्पोजिशन स्कीम का दायरा 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दिया गया। फिलहाल वैट रिजीम में भी यह स्कीम लागू है, जहां 50 लाख रुपए तक टर्नओवर वाले स्कीम का फायदा उठाते हैं। 
20 लाख रुपए टर्नओवर तक जी.एस.टी. से छूट है। ऐसे में 20 से 75 लाख के बीच सालाना कारोबार वाले इसके दायरे में आएंगे। 

क्या कहना जी.एस.टी. एक्सपर्ट का
जी.एस.टी. एक्सपर्ट राकेश गर्ग ने बताया कि कम्पोजिशन स्कीम के तहत मैन्युफैक्चरर्ज को कुल 2 प्रतिशत जी.एस.टी. देना होगा जिसमें 1 प्रतिशत सी.जी.एस.टी. और 1 प्रतिशत एस.जी.एस.टी. होगा। रैस्टोरैंट और ढाबे के लिए कुल रेट 5 प्रतिशत होगा जिसमें 2.5 प्रतिशत सी.जी.एस.टी. और 2.5 प्रतिशत एस.जी.एस.टी. होगा। ट्रेडर्स और अन्य कारोबारियों के लिए कुल रेट 1 प्रतिशत होगा जिसमें 0.5 प्रतिशत सी.जी.एस.टी. तथा 0.5 प्रतिशत एस.जी.एस.टी. होगा। उन्होंने बताया कि ये कारोबारी न तो इन्वॉइस जारी कर सकते हैं और न ही इन्हें इनपुट टैक्स क्रैडिट मिलेगा। सॢवस प्रोवाइडर्स को इस स्कीम में जगह नहीं दी गई है।

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सी.ए. मनीष वशिष्ठ के मुताबिक इन कारोबारियों की कुल सप्लाई पर इसी रेट से जी.एस.टी. लगेगा, चाहे उनके सामान पर जी.एस.टी. की दर कितनी भी क्यों न हो। उन्होंने अनुमान लगाया कि अगर 1 लाख रुपए सेल्स पर 18 प्रतिशत रेट वाले एक रैगुलर डीलर की नैट टैक्स लायबिलिटी (इनपुट क्रैडिट के बाद) 4-5 हजार रुपए आती है तो 1.2 प्रतिशत रेट वाले कंपोजिशन डीलर की नैट लायबिलिटी 1000 से 2000 रुपए ही बैठती है।

ऐसे में सीमित और फिक्स्ड सेल्स वाले डीलर्स के लिए यह स्कीम काफी फायदेमंद है।दिल्ली वैट विभाग के एडीशनल कमिश्नर आनंद तिवारी के मुताबिक कम्पोजिशन स्कीम जहां कारोबारी को एक फ्लैट लोअर रेट मुहैया करवाती है वहीं कम्प्लायंस में कई औपचारिकताओं से मुक्त करती है। कम्पोजिशन डीलर्स को जी.एस.टी. में सिर्फ  तिमाही रिटर्न भरना होगा जबकि अन्य असैसी मंथली रिटर्न भरेंगे। 

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