वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत, 12 और 18% की जगह होगा नया GST स्लैब

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Dec, 2018 04:33 PM

gst standard rate to be fixed between 12 18 pc as revenues increase jaitley

शनिवार को जीएसटी काउंसिल की 31वीं बैठक में कई अहम फैसलों के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लेकर कुछ और बदलाव के संकेत दिए हैं।

बिजनेस डेस्कः शनिवार को जीएसटी काउंसिल की 31वीं बैठक में कई अहम फैसलों के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लेकर कुछ और बदलाव के संकेत दिए हैं। जेटली ने सोमवार को जीएसटी के 18 महीने पर ब्लॉग लिख बताया कि कैसे इससे देश के लोगों को फायदे हुए हैं। वहीं उन्होंने 28 फीसदी जीएसटी स्लैब को पूरी तरह खत्म करने और 18 और 12 फीसदी स्लैब की जगह एक ही स्लैब लाने की बात भी कही है। उन्होंने भविष्य में सिंगल स्टैंडर्ड जीएसटी रेट की ओर जाने की बात कही है।

जीएसटी के 18 महीने पर जेटली का ब्लॉग 
अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में कहा है, गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 18 महीने के दौरान काफी सफल रहा है। जीएसटी आने के बाद स्थिति तेजी से बदली है। सभी 17 टैक्स एक हो गए और पूरा देश एक बाजार बन गया। आने वाले समय में 12 और 18 फीसदी की जगह इन दोनों के बीच एक नया स्टैंडर्ड टैक्स स्लैब बनाया जाएगा। जेटली ने लग्जरी और सिन उत्पादों को छोड़ देश में जीएसटी के 0, 5 और स्टैंडर्ड रेट टैक्स स्लैब होंगे। वहीं, 28 फीसदी टैक्स स्लैब को धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा।

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सीमेंट पर कम होगा टैक्स 
28 फीसदी टैक्स स्लैब से हटाकर 18 और 12 फीसदी टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है। आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाले सीमेंट और ऑटो पार्ट्स ही 28 फीसदी टैक्स स्लैब में बच गए हैं। उन्होंने कहा, 'हमारी अगली प्राथमिकता सीमेंट पर टैक्स कम करने की है। दूसरे सभी बिल्डिंग मैटेरियल पहले ही 28 से 18 या 12 में ट्रांसफर हो चुके हैं।' 

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'जीएसटी के 18 महीने' शीर्षक वाले ब्लॉग में वित्त मंत्री ने कहा है कि 183 आइटम्स पर टैक्स शून्य है। 308 आइटम्स पर 5 फीसदी टैक्स लगता है, 178 पर 12 फीसदी टैक्स है, जबकि 517 आइटम्स 18 फीसदी टैक्स स्लैब में आते हैं। 28 फीसदी टैक्स स्लैब अब लग्जरी उत्पाद, तंबाकू, लग्जरी गाड़ियां, एसी, सोडा वाटर, बड़े टीवी ही बचे हैं। 

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'जीएसटी से पहले था दुनिया का सबसे खराब सिस्टम' 
वित्त मंत्री ने जीएसटी की आलोचना को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा और कहा भारत का इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम दुनिया में सबसे खराब था। केंद्र और राज्य सरकारों को लेवी वसूलने का अधिकार था। 17 टैक्स लगाए जाते थे। एक उद्यमी को 17 इंस्पेक्टर का सामना करना पड़ता था। 17 रिटर्न भरना पड़ता था और 17 असेसमेंट होते थे। टैक्स की दरें बहुत ऊंची थीं। वैट और एक्साइज का स्टैंडर्ड रेट 14.5 और 12.5 फीसदी था। इस तरह अधिकतर वस्तुओं पर टैक्स 31 फीसदी हो जाता था। 

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