मानसून के लिए रखें घर को तैयार

Edited By ,Updated: 20 Jun, 2016 01:07 PM

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लगातार बारिश की वजह से घरों में कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। चाहे घर की दीवारें हों, फर्नीचर या उपकरण,

जालंधरः लगातार बारिश की वजह से घरों में कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। चाहे घर की दीवारें हों, फर्नीचर या उपकरण, बारिश के नमी भरे मौसम से पहले ही तैयारी करके अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है। 

लीकेज व दरारों की मुरम्मत करवाएं
वर्षा ऋतु की सबसे आम समस्याओं में से एक है लीकेज इसलिए बारिश शुरू होने से पहले समय रहते इन्हें ठीक करवा लेना समझदारी होगी। इमारत की मुरम्मत का कोई काम लम्बित न रहे और सुनिश्चित बना लें कि उसमें कोई लीकेज या दरार बाकी नहीं है। छत तथा टैरेस फ्लोर की जांच करें कि कहीं कोई लीकेज या दरार तो नहीं है। यदि हो तो तुरंत ठीक करवाएं। शुरूआती मुरम्मत के बाद आप वाटरप्रूफ कोटिंग लगवा सकते हैं ताकि दरारों से लीकेज की सम्भावना खत्म हो जाए। छत पर ढीली या गायब टाइल्स को दोबारा लगवाएं। कहीं सीलन के निशानों के लिए छत की भीतर की तरफ से भी जांच करें। 

छत से पानी निकास वाले पाइपों की सफाई
छत से बारिश के पानी की निकासी के लिए कोनों में पाइप लगे होते हैं जिनसे होकर पानी छत से नीचे घर से बाहर निकल जाता है। यह पानी गटर, नाली या सड़क पर निकलता है या इसको भूमिगत टैंक में जमा भी किया जाता है। छत पर पानी के भराव को रोकने के लिए इनकी सफाई मानसून से पहले कर ली जाए तो महंगी मुरम्मत पर खर्च से बचा जा सकता है। 

इन पाइपों के मुंह को लिफाफे, पत्ते या अन्य तरह का कूड़ा बंद कर सकता है या इनके बीच में फंसा रह सकता है। मानसून से पहले तथा नियमित रूप से इनकी सफाई करें ताकि छत पर पानी खड़ा न हो सके जिससे छत तथा दीवारों को बड़ा नुक्सान पहुंच सकता है। 

बाहरी दीवारें
दीवारों से पानी का रिसाव आमतौर पर भारी बारिश के दौरान होता है। ऐसा स्थानीय मौसम के अनुरूप दीवार को पर्याप्त मजबूती से तैयार करने पर हो सकता है। इसे सुधारने के लिए अतिरिक्त प्लास्टर, आवरण चढ़ाने या वाटरप्रूफ पेंट आदि का प्रयोग किया जा सकता है। 

भीतरी दीवारों पर भी ध्यान दें 
किसी भी तरह के भीतरी पेंटिंग कार्य को शुरू करने से पहले पेंटर से नमी के स्तर की जांच करने को कहें। ऐसा मॉइश्चर मीटर की मदद से किया जा सकता है। यदि दीवारों में नमी अधिक हो तो उसका ट्रीटमैंट वाटर प्रूफ उत्पादों से करवाएं। इससे दीवारों के गीले होने पर भी पेंट पपड़ी के रूप में उखड़ेगा नहीं। साथ ही इससे दीवारों की सतह समतल हो जाएगी जिससे पेंट सरलता से किया जा सकेगा तथा वह अधिक सुंदर भी दिखाई देगा। दीवारों या छत में कहीं भी दरार दिखाई देने पर उसे सीमैंट या पी.ओ.पी. से तुरंत भरवा दें ताकि पानी लीक न हो सके। 

हवा की गुणवत्ता पर नजर 
भारी बारिश से घर के भीतर उमस भर जाती है। इससे फफूंद एवं बैक्टीरिया को पनपने में सहायता मिलती है जो घर के भीतर दूषित तत्व छोड़ते रहते हैं। नमी तथा उमस चीजों के रासायनिक तत्वों को भी प्रभावित करती हैं जिससे कमरों में हवा और दूषित होती है। नमी दूर करने के लिए तथा चीजों की इसके दुष्प्रभावों से रक्षा करने के लिए तापमान एवं हवा की निकासी का उचित प्रबंधन करना जरूरी है। 

अधिक उमस वाले कमरों में एयर प्यूरीफायर, वैंटीलेटर्स या डी-ह्यूमिडिफायर लगवाए जा सकते हैं। घर में हवा की आवाजाही का पर्याप्त बंदोबस्त करके भी नमी के स्तर को कम किया जा सकता है। भीतर रखे पौधों को भी इस मौसम में बाहर रखने की जरूरत है क्योंकि वे भी नमी को जमा करने का काम करते हैं। 

बिजली के झटकों से सुरक्षा 
इस मौसम में बिजली की तारों तथा इलैक्ट्रिकल कनैक्शनों की जांच करवा लेना भी महत्वपूर्ण है। इससे सुनिश्चित हो जाएगा कि घर के किस हिस्से में होने वाली लीकेज से कहीं बिजली की तारों से होकर दीवारों या स्विच बोर्ड में करंट न आने लगे। 

वायरिंग में किसी तरह की खराबी को भी तुरंत ठीक करवाएं ताकि शॉर्ट सॢकट की सम्भावना को दूर किया जा सके। सही ढंग से अॄथग तथा प्रत्येक पावर बोर्ड के लिए अलग फ्यूज लगवा कर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। घर में किसी भी तरह के जीर्णोद्धार के काम को मानसून का मौसम खत्म होने तक टाल देना बेहतर होगा।

फर्नीचर की देखभाल
फर्नीचर को भी मानसून के दौरान खास देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि मौसम में बदलाव की वजह से फर्नीचर पर भी असर होता है। इससे फर्नीचर के जोड़ खुल सकते हैं या उनकी लैमिनेशन आदि उखड़ सकती है। फर्नीचर को पॉलिश करवा कर तथा लकड़ी के फर्नीचर में वाटरप्रूफ गोंद लगवा कर इसे फफूंद आदि से बचाया जा सकता है। रॉट आयरन फर्नीचर को जंगरोधी पेंट से रंग करवाएं। कीमती पेंटिंग्स को दीवारों पर न टांगें तथा फर्नीचर को उनसे सुरक्षित दूरी पर रखें।

फर्श एवं कार्पेट
बारिश के मौसम में लकड़ी के फर्श की सुरक्षा के लिए उस पर मोम  की कोटिंग करने की जरूरत होती है। कार्पेट, खासकर जो दीवारों पर लगे हों, को वैक्यूम क्लीनर से साफ किया जा सकता है। ऐसा करने से उनमें से न केवल धूल बल्कि नमी भी दूर हो जाएगी जिसकी वजह से दुर्गंध पैदा हो सकती है।

कुछ जरूरी टिप्स
* अगर आपने कमरों के फर्श पर फैंसी कालीन बिछा रखे हैं तो उन्हें उठा कर रोल करके प्लास्टिक के लिफाफों में डाल कर किसी सूखी जगह स्टोर कर दीजिए। बरसात की नमी उन्हें बर्बाद कर देगी। बांस के मैट का प्रयोग कालीन की जगह पर कर सकते हैं। 

* लकड़ी का फर्नीचर भी हवा में अधिक नमी की वजह से प्रभावित हो सकता है इसलिए हो सके तो इसे भी दूर रखें। यदि आपके यहां चमड़े के कवर वाले सोफे हैं तो इनकी भी विशेष देखभाल की जरूरत है।

* यदि खिड़कियों को कसकर बंद करने के बावजूद बारिश का पानी रिस कर भीतर आ रहा हो तो खिड़की   पर  रबर का अस्तर यानी रबड़ लाइनिंग लगाएं जो किसी भी खाली जगह को भर देगी।

* अगर घर में किसी भी तरह के पौधे गमलों में लगा रखे हैं तो इस मौसम में उन्हें बाहर रख दें क्योंकि वे घर के भीतर नमी में वृद्धि करते हैं। चाहें तो अंदर नकली पौधे भी रख सकते हैं।

* अलमारी व कपड़ों के बीच नीम के पत्ते और लौंग रखें जो कीड़ों को दूर रखेंगे।

 

* खड़े पानी में मच्छर सरलता से पनपते हैं। किसी भी तरह से अंदर या घर के आसपास पानी खड़ा न रहने दें। 

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