NPA में बढ़ौतरी के कारण रिजर्व बैंक की निगरानी में आया IDBI बैंक

Edited By ,Updated: 10 May, 2017 11:44 AM

idbi bank under the supervision of reserve bank due to increase in npa

फंसे कर्ज (एन.पी.ए.) में खतरनाक बढ़ौतरी के बाद आई.डी.बी.आई. बैंक को रिजर्व बैंक यानी आर.बी.आई. ने अपनी..

नई दिल्लीः फंसे कर्ज (एन.पी.ए.) में खतरनाक बढ़ौतरी के बाद आई.डी.बी.आई. बैंक को रिजर्व बैंक यानी आर.बी.आई. ने अपनी निगरानी में ले लिया है। केंद्रीय बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक के खिलाफ फौरी सुधारात्मक कार्रवाई (पी.सी.ए.) का कदम उठाया है। आर.बी.आई. की निगरानी में आने से अब बैंक पर कर्ज और लाभांश वितरण समेत तमाम मामलों में कई तरह की बंदिशें लग जाएंगी। यह जानकारी आई.डी.बी.आई. ने खुद स्टॉक एक्सचेंज को दी है। इससे पहले आर.बी.आई. ने इंडियन ओवरसीज बैंक का ग्रॉस एन.पी.ए. 10 फीसदी पहुंचने पर साल 2015 में ऐसी कार्रवाई की थी।

बैंक को हुआ 2,225 करोड़ रुपए का घाटा
अत्यधिक एन.पी.ए. और संपत्तियों पर नकारात्मक रिटर्न (आर.ओ.ए.) को देखते हुए 5 मई को केंद्रीय बैंक ने फौरी सुधारात्मक कार्रवाई (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) की शुरुआत कर दी। बीते वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान आई.डी.बी.आई. का ग्रॉस एन.पी.ए. 80 फीसदी बढ़कर 35,245 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया। इस तिमाही के दौरान बैंक को 2,225 करोड़ रुपए का तगड़ा घाटा हुआ था। इस दौरान बैंक का आर.ओ.ए. भी गिरकर शून्य से नीचे 2.32 तक चला गया। ऑडिट किए गए सालाना वित्तीय नतीजों और आर.बी.आई. के अपने आकलन के आधार पर किसी भी बैंक को पी.सी.ए. फ्रेमवर्क के तहत निगरानी में रखा जा सकता है।

केंद्रीय बैंक ने जारी किए थे नए प्रावधान
केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने संशोधित इस फ्रेमवर्क के तहत ऐसे कई नए प्रावधान जारी किए थे। इसमें एक उपधारा जोड़ी गई है कि अगर बैंक की सेहत में सुधार नहीं दिखने पर या तो इसका किसी अन्य बैंक में विलय होगा या फिर इसका अधिग्रहण कर लिया जाएगा। आर.बी.आई. के मुताबिक ये नए प्रावधान पहली अप्रैल से लागू हो गए हैं। इस नए फ्रेमवर्क की तीन साल बाद फिर समीक्षा की जाएगी।

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