IL&F ने 57,000 करोड़ रुपए के कर्ज के निपटान के लिए रूपरेखा पेश की

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Jul, 2020 06:14 PM

il f lays out framework for debt settlement of rs 57 000 crore

नकदी संकट से जूझ रहे इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएल एंड एफएस) समूह ने सोमवार को कहा कि वह 57,000 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज को निपटाने की उम्मीद कर रहा है। यह कंपनी के ऊपर कुल 99,000

मुंबईः नकदी संकट से जूझ रहे इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएल एंड एफएस) समूह ने सोमवार को कहा कि वह 57,000 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज को निपटाने की उम्मीद कर रहा है। यह कंपनी के ऊपर कुल 99,000 करोड़ रुपए के कर्ज का 50 प्रतिशत से अधिक है। समूह इसमें से 50,500 करोड़ रुपए का कर्ज मार्च 2021 तक तथा 6,600 करोड़ रुपए का ऋण वित्त वर्ष 2020-21 के बाद देने की उम्मीद कर रहा है। 

हालांकि उसने साफ नहीं किया कि 6,600 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज कबतक लौटाएगा। कर्ज के मसले के निपटान के बारे में समूह के गैर-कार्यकारी चेयरमैन उदय कोटक ने कहा, ‘‘हम चीजों को पारदर्शी तरीके से रख रहे हैं। आज की बात उसी का नतीजा है हम इस रूपरेखा को लेकर प्रतिबद्ध हैं।'' कंपनी ने 30 जून 2020 तक 17,640 करोड़ रुपए के कर्ज का निपटान किया है। इस ऋण का निपटान संपत्ति की बिक्री और समूह के पास उपलब्ध नकदी के जरिए किया गया। नए निदेश मंडल ने कर्ज लौटाने को लेकर तिमाही योजना साझा किया है। 

इसके तहत 2020-21 की दूसरी तिमाही में 8,800 करोड़ रुपए, तीसरी तिमाही में 18,000 करोड़ रुपए और चौथी तिमाही के अंत में 6,000 करोड़ रुपए का निपटान किया जाएगा। इस प्रकार, चालू वित्त वर्ष के अंत तक कुल 50,500 करोड़ रुपए का निपटान किया जाएगा। इसके अलावा 6,600 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज 2020-21 के बाद किया जाएगा। समूह ने 13,000 करोड़ रुपए के सकल मूल्य के इनविट (इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट) के गठन का प्रस्ताव किया है। इसमें तीन विशेष उदे्श्यीय कंपनी शमिल हैं जहां 5,000 करोड़ रुपए के कर्ज का पुनर्गठन किया गया है। समूह 15 इकाइयों को बेचने की प्रक्रिया में है। इससे करीब 8,500 करोड़ के कर्ज का समाधान होगा। इसके अलावा 4,900 करोड़ रुपए के अतिरिक्त कर्ज के पुनर्गठन की योजना है। 

आईएल एंड एफएस निदेशक मंडल ने समूह के समाधान रूपरेखा को तैयार किया है जिसे राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण ने 12 मार्च, 2020 को मंजूरी दी। सरकार ने अक्टूबर 2018 में कर्ज में डूबे समूह का नियंत्रण लेकर निदेश मंडल (बोर्ड) को भंग कर कोटक की अगुवाई में नये बोर्ड का गठन किया था। 

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