भारत की अर्थव्यवस्था पर IMF ने चेताया, कहा- जल्द बड़े कदम उठाने की है जरूरत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Dec, 2019 12:47 PM

imf warns on india s economy says  need to take big steps soon

मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यवस्था आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रही है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को चेतावनी दी है। आईएमएफ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए भारत को जल्द से जल्द बड़े कदम उठाने की जरूरत है।

वाशिंगटनः मौजूदा समय में भारत की अर्थव्यवस्था आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रही है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को चेतावनी दी है। आईएमएफ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए भारत को जल्द से जल्द बड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था में से एक है, इसलिए भारत को तेजी से कदम उठाने होंगे। 

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भारत को नीतिगत उपायों की जरूरत
मामले में आईएमएफ की एशिया और प्रशांत की हेड रानिल सालगाडो ने कहा है कि लाखों भारतीयों को गरीबी से बाहर लाने के बाद अब भारत आर्थिक सुस्ती के बीच है। सुस्ती को दूर करने के लिए और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भारत को जल्द से जल्द नीतिगत उपायों की आवश्यकता है। 

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IMF के अनुसार इतनी हो सकती है वृद्धि दर
आईएमएफ ने अक्तूबर में भारत की 2019 की आर्थिक वृद्धि की दर को 6.1 फीसदी और 2020 में इसके सात फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया था। 

जनवरी 2020 में होगी समीक्षा
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मुंबई में आयोजित इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में कहा था कि संस्थान ने इससे पहले अक्तूबर में अनुमान जारी किया था और जनवरी 2020 में इसकी समीक्षा करेगा। उन्होंने कहा, भारत में उपभोक्ता मांग और निजी क्षेत्र के निवेश में आई कमी तथा कमजोर पड़ता निर्यात कारोबार जीडीपी वृद्धि में आई सुस्ती के लिये जिम्मेदार बताये जा रहे हैं। अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा कि भारत के लिए परिदृश्य नीचे की ओर जाने का है। सालगाडो ने कहा कि सुस्ती की वजह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण में कमी है। इसके अतिरिक्त व्यापक रूप से ऋण को लेकर परिस्थितियां सख्त हुई हैं। 

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गोपीनाथ ने वर्ष 2025 तक भारत के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर भी संशय जताया था। इसके समर्थन में उन्होंने अपनी गणना भी प्रस्तुत की। गोपीनाथ ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को पिछले छह साल के छह फीसदी की वृद्धि दर के मुकाबले बाजार मूल्य पर 10.5 फीसदी की जीडीपी वृद्धि हासिल करनी होगी। स्थिर मूल्य के लिहाज से इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आठ से नौ फीसदी की वृद्धि हासिल करनी होगी।

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