Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Apr, 2024 11:35 AM
सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहन देने के कई उपायों बावजूद आयातित दालों पर भारत की निर्भरता बनी हुई है। हमें अब भी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में दलहन उत्पादों का आयात करना पड़ रहा है। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार वित्तीय
नई दिल्लीः सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहन देने के कई उपायों बावजूद आयातित दालों पर भारत की निर्भरता बनी हुई है। हमें अब भी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में दलहन उत्पादों का आयात करना पड़ रहा है। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में दालों का आयात लगभग दोगुना हो गया और 3.74 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि आधिकारिक आंकड़े अब भी आने बाकी हैं लेकिन शिपमेंट्स से पता चलता है कि करीब 45 लाख टन दाल का आयात किया गया। इससे पिछले साल यह आंकड़ा 24.5 लाख टन का था।
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि घरेलू बाजार में दलहन के मांग की पूर्ति और कीमतों को स्थिर रखने के लिए केंद्र ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे नए बाजारों के साथ दीर्घकालिक समझौते पर बातचीत कर रहा है। ब्राजील से 20,000 टन उड़द का आयात होना है जबकि अर्जेंटीना से अरहर के आयात के लिए बातचीत लगभग अंतिम पड़ाव पर है। सरकार ने दालों के आयात के लिए मोजाम्बिक, तंजानिया और म्यांमार से भी संपर्क किया है। हाल के दिनों में दालों के आयात में वृद्धि से घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी, जिससे कीमतें स्थिर सकतीं हैं।
इससे पहले सरकार ने पीले मटर के आयात को जून तक ड्यूटी फ्री कर दिया है। वहीं, अरहर और उड़द का आयात 31 मार्च 2025 तक कर मुक्त कर दिया गया है। देश में आम चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है ऐसे में सरकार के लिए दालों की कीमतें ना बढ़ें यह बड़ी चिंता का विषय है। कीमतों पर नियंतण के लिए 15 अप्रैल (सोमवार) को दालों के स्टॉक के लिए लिमिट तय कर दी है। सरकार ने राज्यों से भी कहा है कि वे भी जमाखोरी रोकने के लिए सतर्क रहें।
सरकार की चिंता कारण यह है कि किसानों को प्रोत्साहन देने के कई कदम उठाने के बावजूद पिछले दो से तीन वर्षों में दलहन का उत्पादन घटा है। कृषि मंत्रालय के अनुमानों के अनुसार इस साल दलहन का उत्पादन 234 लाख टन रह सकता है। पिछले साल 261 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ था।