जापान की करेंसी येन 34 साल के निचले स्तर पर, इन वजहों से आई कमजोरी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Apr, 2024 04:34 PM

yen plummets to 34 year low below 160 against dollar report

जापान की करेंसी येन सोमवार को अप्रैल 1990 के बाद से अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले येन की गिरावट ने करीब 34 साल की रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सोमवार को शुरुआती सौदे में येन 158.05-158.15 की मामूली रेंज में ऊपर-नीचे हो रहा था जिसके बाद...

बिजनेस डेस्कः जापान की करेंसी येन सोमवार को अप्रैल 1990 के बाद से अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले येन की गिरावट ने करीब 34 साल की रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सोमवार को शुरुआती सौदे में येन 158.05-158.15 की मामूली रेंज में ऊपर-नीचे हो रहा था जिसके बाद डॉलर एकाएक उछलकर 160.245 येन पर पहुंच गया। शुक्रवार को येन में जो गिरावट आई थी, वह 6 महीने की सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके बावजूद फिर यह संभलकर डॉलर के मुकाबले 154.97 येन पर पहुंच गया था। शुक्रवार को एक डॉलर के मुकाबले येन 158.445 और 154.97 के बीच करीब 3.5 फीसदी मूव कर रहा था। इस साल येन करीब 11 फीसदी कमजोर हो चुका है।

Yen में क्यों आई तेज गिरावट

शुक्रवार को 6 महीने की तेज गिरावट के बाद येन ने कुछ रिकवरी की जिससे यह जिससे यह अटकलें शुरू हो गईं कि जापानी अधिकारियों ने संभावित हस्तक्षेप से पहले करेंसी के भाव की जांच की होगी। हालांकि यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका कि इस कदम का कारण क्या है। मार्केट जापान अथॉरिटी के किसी हस्तक्षेप को लेकर सतर्क है। इसके अलावा जापान में छुट्टियों के चलते कारोबार कमजोर हुआ है और ट्रेडर्स इल्लिक्विड मार्केट में नर्वस हैं जिसके चलते यह स्टॉप लॉस छू रहा है। एक पोर्टफोलियो मैनेजर ने कहा कि 160 का लेवल टूट चुका है जिसके चलते लॉन्ग येन होल्डिंग्स और स्टॉप लॉस ऑर्डर्स को अपनी पोजिशन खत्म करनी पड़ी जिसके चलते यह तेजी से नीचे फिसल गया। बैंक ऑफ जापान ने जब पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया और जापान के गवर्नमेंट बॉन्ड (JGB) की खरीदारी को कम करने के कुछ संकेत दिए तो ट्रेडर्स को निराशा हुई। इसने येन पर दबाव डाला।

करेंसी में तेज गिरावट से इकोनॉमी पर असर 

जापानी करेंसी येन अमेरिकी डॉलर और यूरो के बाद विदेशी मुद्रा बाजार में ग्लोबल लेवल पर तीसरी सबसे ज्यादा कारोबार वाली करेंसी है। येन की वैल्यू में लगातार कमजोरी से इकोनॉमी पर निगेटिव असर पड़ सकता है। ऐसे में जापान से निवेश निकलकर अमेरिका की ओर जा सकता है। 
 

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