10 साल में हमने अनाज व चीनी खाना घटाया, फल-दूध बढ़ाया

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Mar, 2024 02:21 PM

in 10 years we reduced the consumption of grains and sugar

पिछाने एक दशक में हमारी खाने-पीने की आदतें काफी हद तक बदल गई हैं। खानपान के औसत मासिक खर्च में अनाज का हिस्सा 5.84% तक घट गया है। 2011-12 में हम अनाज पर कुल खर्च की 10.75% रकम लगाते थे, जो 2022-23 में घटकर 4.91% रह गई है। हाल ही में सांख्यिकी एवं...

बिजनेस डेस्कः पिछाने एक दशक में हमारी खाने-पीने की आदतें काफी हद तक बदल गई हैं। खानपान के औसत मासिक खर्च में अनाज का हिस्सा 5.84% तक घट गया है। 2011-12 में हम अनाज पर कुल खर्च की 10.75% रकम लगाते थे, जो 2022-23 में घटकर 4.91% रह गई है। हाल ही में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं। दिलचस्प यह है कि पिछले एक दशक में फलों पर खर्च 0.29% और दूध पर 0.29% बढ़ा है। इस दौरान हमने चीनी और नमक पर खर्च भी लगभग आधा कर दिया है।

हालांकि, डिब्बाबंद पेय व बिस्किट जैसे प्रोसेस्ड फूड पर 2011-12 के 8.98% के खर्च के स्थान पर अब हम 10.64% खर्च करते हैं। खास बात यह है कि ग्रामीण इलाकों में भी इसी दौरान प्रोसेस्ड फूड पर खर्च 7.9%, से बढ़कर 9.62% हो गया। अनाज और फलों की खपत का यह ट्रेंड 1993-94 और 2011-12 के बीच भी ऐसा ही दिखता है। 1993-94 में प्रति व्यक्ति प्रति दिन चावल की खपत 220 ग्राम थी, जो 2011-12 में 190 ग्राम रह गई। गेहूं की खपत 148 ग्राम से 147 ग्राम, मक्का की 10 ग्राम से 3 ग्राम, मिलेट्स की 45 ग्राम से 15 ग्राम रह गई। वहीं, फलों की खपत 19.4 ग्राम से बढ़कर 23 ग्राम, दूध की 147.6 ग्राम ने 165.5 ग्राम, मांस-मछली की 12.8 ग्राम ने 15.8 ग्राम हो गई। तेलों की बात करें तो सबसे ज्यादा खपत रिफाइंड तेल की बढ़ी है। 1093-94 में हर व्यक्ति रोजाना औसतन 0.6 ग्राम रिफाइंड का ही सेवन कर रहा था, जो 2011-12 में 8.4 ग्राम तक पहुंच गया।

सिर्फ अमीर वर्ग में दाल की खपत में कमी आई

खान-पान का आयवर्ग से भी सीधा रिश्ता है। एनएसएसओ की रिपोर्ट में इसे बेहद गरीब से बेहद अमीर के बीच 10 खर्च समूहों में बांटा गया है। 

  • अनाज की खपत सबसे निचले तबके को छोड़कर बाकी 9 में घटी है। 
  • चावल की खपत केवल नीचे के दो समूहों में बढ़ी है, जबकि गेहूं की खपत भी निचले चार समूहों में ही बढ़ी है, बाकी छह में घटी है, मोटे अनाज की खपत हर आय वर्ग में कम दर्ज हुई है। 
  • दालों की खपत सबसे अमीर वर्ग को छोड़कर बाकी 9 समूहों में बढ़ी है। 
  • दूध की खपत ऊपरी 3 खर्च समूहों के अलावा बाकी 7 समूहों में बढ़ी है।

2047 में 43.7 करोड़ टन खाद्यान्न चाहिए... 

2047 में खाने-पीने की प्रमुख चीजों की मांग-आपूर्ति का ट्रेंड क्या रहेगा, इसे लेकर नीति आयोग ने 2022 में वर्किंग ग्रुप बनाया था, उसकी रिपोर्ट... 

  • 2047-48 में खाने की मांग सालाना 2.44% से बढ़ेगी। विकास दर तेज रही तो यह दर 3.07% हो जाएगी। 
  • 2047-48 में 40.2-43.7 करोड़ टन के बीच खाद्यान्न की जरूरत होगी। 
  • दालों की मांग 4.9-5.7 करोड़ टन रह सकती है। चीनी की 4.4-4.5 करोड़ टन और खाद्य तेलों की 3.1- 3.3 करोड़ टन के बीच मांग रहेगी। दूध की मांग 48-60 करोड़ टन के बीच रहने का अनुमान है।
     

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