Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Aug, 2020 06:54 PM
भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि जब तक अर्थव्यवस्था कोविड-19 के झटकों से उबरकर पुन: महामारी से पूर्व की गति हासिल नहीं कर लेती है, सरकार को उपभोग के जरिये मांग को बढ़ाना होगा।
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि जब तक अर्थव्यवस्था कोविड-19 के झटकों से उबरकर पुन: महामारी से पूर्व की गति हासिल नहीं कर लेती है, सरकार को उपभोग के जरिये मांग को बढ़ाना होगा। रिजर्व बैंक की 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में यह राय व्यक्त की गई है।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी उपभोगता इस समय विशेष रूप से परिवहन, आतिथ्य, मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यों पर मन-मुताबिक चर्च करने की हालत में नहीं रह गये हैं। व्यवहार में बदलाव की वजह से इन गतिविधियों की मांग सामान्य नहीं हो पाएगी। रिपोर्ट कहती है कि आगे चलकर सरकार के उपभोग से मांग बढ़ानी होगी। जब यह रुक जाएगी, तो गैर-विवेकाधीन खर्च से निजी खपत की भूमिका शुरू होगी। यह स्थिति तब तक रहेगी जब तक कि खर्च योग्य आय में टिकाऊ बढ़ोतरी के जरिये विवेकाधीन खर्च नहीं बढ़ता है।
इस साल के दौरान कुल मांग की स्थिति का आकलन करने से पता चलता है कि उपभोग को जो झटका लगा है वह काफी बड़ा है। इसे कोविड-19 से पूर्व के स्तर पर लाने में अभी समय लगेगा। जुलाई के लिए रिजर्व बैंक के सर्वे से पता चलता है कि उपभोक्ताओं का भरोसा अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर है। ज्यादातर लोग आर्थिक स्थिति, रोजगार, मुद्रास्फीति तथा आमदनी को लेकर आशान्वित नहीं हैं। हालांकि, सर्वे में शामिल लोगों ने आगे चलकर स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई।
इसमें कहा गया है कि शहरी उपभोग मांग बुरी तरह प्रभावित हुई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री और टिकाऊ उपभोक्ता सामान की आपूर्ति एक साल पहले की समान अवधि का 20 प्रतिशत और 33 प्रतिशत रह गई है। हवाई यातायात पूरी तरह ठहर गया है। हालांकि, ग्रामीण मांग की स्थिति कुछ बेहतर है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही का जीडीपी का आधिकारिक अनुमान 31 अगस्त को जारी करेगा।