चीन से कारोबार समेटने वाली कंपनियों को आकर्षित कर सकता है भारत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 May, 2020 05:53 PM

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चीन से निकलने की मंशा रखने वाली कंपनियों को आकर्षित करने को भारत को अनुबंधन के प्रवर्तन की व्यवस्था में सुधार करना होगा और अपने बुनियादी ढांचे का भी अद्यतन करना होगा। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। वि

नई दिल्लीः चीन से निकलने की मंशा रखने वाली कंपनियों को आकर्षित करने को भारत को अनुबंधन के प्रवर्तन की व्यवस्था में सुधार करना होगा और अपने बुनियादी ढांचे का भी अद्यतन करना होगा। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने भारत के लिए विशिष्ट अवसर पैदा किए हैं। 

भारत को कंपनियों और निवेश को आकर्षित करने के लिए अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि संपदा के सृजन तथा ‘मेक इन इंडिया' को प्रोत्साहन देने में भी मदद मिलेगी। इस वैश्विक महामारी की वजह से चीन के विनिर्माण क्षेत्र पर वैश्विक निर्भरता में जोखिम उजागर हो चुका है। कई देश अब अपनी आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार के लिए वैकल्पिक विनिर्माण स्थलों की तलाश कर रहे हैं।

खेतान एंड कंपनी के भागीदार अतुल पांडेय ने कहा, ‘‘में श्रम की कम लागत, कॉरपोरेट कर दरों में धीरे-धीरे कटौती, लालफीताशाही में कमी के बाद अब भारत खुद को विनिर्माण हब के रूप में पेश कर सकता है।'' उन्होंने कहा कि वैश्विक कंपनियों का स्वागत करने और चीन एक विश्वसनीय विकल्प बनने के लिए जरूरत है कि भारत सरकार राज्य बिजली इकाइयों में बड़ा बदलाव लाए, वाणिज्यिक अनुबंधों के प्रवर्तन की व्यवस्था बनाए, विशेष वाणिज्यिक अदालतें स्थापित करे। उन्होंने कहा कि सरकार स्टाम्प शुल्क और अन्य लागतों में भी कटौती पर विचार कर सकती है।

सिंह एंड एसोसिएट्स की मैनेजिंग पार्टनर डेजी चावला ने कहा कि कोविड-19 ने भारत के लिए एक विशिष्ट अवसर दिया है। आयात में अंकुशों की वजह से स्थानीय विनिर्माण इकाइयों को घरेलू जरूरतों को पूरा करने का अवसर मिला है। पहले इसे आयात के जरिए पूरा किया जाता था। उन्होंने कहा कि इससे विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने का अवसर बना है। 

विशेषरूप से हम ऐसी कंपनियों को आकर्षित कर सकते हैं जो चीन से कारोबार समेटने की तैयारी कर रही हैं। पीडब्ल्यूसी इंडिया के भागीदार- आर्थिक विकास एवं ढांचा मोहम्मद अतहर ने कहा, ‘‘भारत के पास अगला वैश्विक उत्पादन हब बनने का अवसर है। भारत में बड़ा आंतरिक बाजार होने के साथ प्रतिस्पर्धी दरों पर गुणवत्ता वाला श्रम और आगे बढ़ता निजी क्षेत्र है।'' उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक अनुकूल पारिस्थतिकी तंत्र बनाने में सरकार की मदद कर सकता है। 

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