Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Sep, 2023 11:17 AM
भारत जरूरतमंद क्षेत्रों को और पड़ोसी देशों को उनकी मांगों को पूरा करने के अनुरोध पर गेहूं और चावल का निर्यात कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह कहा। सामान्य तौर पर गेहूं, टूटे चावल और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध है। विदेश...
नई दिल्लीः भारत जरूरतमंद क्षेत्रों को और पड़ोसी देशों को उनकी मांगों को पूरा करने के अनुरोध पर गेहूं और चावल का निर्यात कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह कहा। सामान्य तौर पर गेहूं, टूटे चावल और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध है। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि भारत ने 21 जुलाई को नेपाल को तीन लाख टन और भूटान को 14,184 टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी है।
इसी तरह, सरकार ने सेनेगल (पांच लाख टन), गाम्बिया (पांच लाख टन), इंडोनेशिया (दो लाख टन), माली (एक लाख टन) और भूटान (48,804 टन) को टूटे हुए चावल के निर्यात की अनुमति दी है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार की प्रतिबद्धता है कि खाद्यान्न के मामले में कमी का सामना कर रहे क्षेत्रों और पड़ोसी देशों के अनुरोध की स्थिति में, वह आवश्यक मात्रा में चावल या गेहूं उपलब्ध कराएगी।''
सरकार ने नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से भूटान (79,000 टन), मॉरीशस (14,000 टन) और सिंगापुर (50,000 टन) को गैर-बासमती चावल के निर्यात की भी अनुमति दी। पिछले साल नौ सितंबर को सरकार ने बढ़ती खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाने और घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और आगामी त्योहारों के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मई में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।