भारत में 6.5-7% की दर से वृद्धि करने की संभावना, सुधार तेज करने की जरूरत: एसएंडपी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2020 05:50 PM

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भारत की अर्थव्यवस्था में मध्यम से दीर्घावधि में 6.5 से 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की संभावनाएं हैं लेकिन इस साल लगे झटकों को देखते हुए हालात सुधारने के लिए देश को आर्थिक नीतियों और कार्यक्रमों में सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। यह बात...

नई दिल्लीः भारत की अर्थव्यवस्था में मध्यम से दीर्घावधि में 6.5 से 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की संभावनाएं हैं लेकिन इस साल लगे झटकों को देखते हुए हालात सुधारने के लिए देश को आर्थिक नीतियों और कार्यक्रमों में सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। यह बात वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने शुक्रवार को कही। 

भारत की ऋण साख को लगातार 13वें साल निवेश वर्ग की निम्नतम श्रेणी में रखने के कुछ दिन बाद शुक्रवार को एसएंडपी ने एक वेबिनार में कहा कि देश की जीडीपी वृद्धि दर में इस साल संकुचन के बावजूद उसका आर्थिक प्रदर्शन अपने समकक्षों में बेहतर रहा है। एसएंडपी के निदेशक एवं एशिया-प्रशांत के लिए मुख्य साख विश्लेषक एंड्र्यू वुड ने कहा, ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी मुश्किल दौर से गुजर रही है। इस साल अर्थव्यवस्था में संकुचन के बावजूद अपने समकक्ष बजारों के समूह में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है।'' 

एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया है। जबकि उसे उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 8.5 प्रतिशत रहेगी। हालांकि उसका कहना है कि यदि कोविड-19 संकट से अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को और अधिक नुकसान पहुंचता है तो वह भारत की ऋण साख और गिरा सकती है। 

वुड ने कहा, ‘‘महामारी के भारत की अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहंचाने पर हम उसकी ऋण साख को निचली श्रेणी में रखने पर विचार करेंगे। इस संकट से प्रभावित होने वाला भारत अकेला देश नहीं है। हम एक अभूतपूर्व समय में हैं और भविष्य में रेटिंग तय करने के लिए सुधारों की गति और मजबूती ही सर्वोपरि होगी।'' देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है। हालांकि 4 मई के बाद से इसमें राहत दी जा रही है लेकिन इसने देश के उद्योग धंधों की कमर तोड़ कर रख दी है। 

वुड ने कहा कि मध्यम से दीर्घावधि में देश में सालाना 6.5 से सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की संभावनाएं हैं। ऋण साख को बरकरार रखने के लिए ऊंची वृद्धि दर अनिवार्य है। देश की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए सुधार अहम है। उन्होंने कहा रोजगार के मामले में सुधार करना अहम होगा। जबकि असंगठित क्षेत्र को पटरी पर वापस आने में समय लगेगा।

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