ट्रम्प के ईरान पर प्रतिबंध से भारत पर पड़ सकता है असर

Edited By Supreet Kaur,Updated: 12 May, 2018 09:08 AM

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अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने के फैसले का भारत पर व्यापक असर पड़ सकता है। अमरीका के एक वरिष्ठ राजनयिक का कहना है कि भारत को ईरान से तेल का आयात कम करने के लिए 6 महीने का समय मिलेगा। इन प्रतिबंधों के कारण भारत...

नई दिल्लीः अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने के फैसले का भारत पर व्यापक असर पड़ सकता है। अमरीका के एक वरिष्ठ राजनयिक का कहना है कि भारत को ईरान से तेल का आयात कम करने के लिए 6 महीने का समय मिलेगा। इन प्रतिबंधों के कारण भारत को अपने तेलशोधक संयंत्रों को वैकल्पिक कच्चे तेल के शोधन के लिए तैयार करना होगा। साथ ही भारत के रणनीतिक निवेशों पर भी प्रभाव पड़ सकता है जिसे वह क्षेत्रीय हितों के लिए अहम मानता है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पश्चिम एशिया में परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है। यह भारत के लिए गंभीर चिंता की बात है क्योंकि अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान को एक बार फिर उस क्षेत्र में अपने परमाणु जाल को फैलाने का मौका मिल सकता है। वॉशिंगटन में विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऊर्जा क्षेत्र और बैंकिंग, निर्यात तथा ऊर्जा के परिवहन से जुड़े प्रतिबंधों के मामले में 6 महीने की मोहलत दी गई है जबकि दूसरे प्रतिबंधों के मामले में यह 90 दिन है।

भारत के कई अहम निवेश होंगे प्रभावित 
अमरीकी प्रतिबंधों के कारण ईरान में भारत के कई अहम निवेश प्रभावित होंगे। इनमें फारस की खाड़ी में फरजाद बी तेल क्षेत्र में ओ.एन.जी.सी. विदेश का निवेश शामिल है। इस पर भारत और ईरान ने लंबे समय से चले आ रहे विवाद को सुलझाने के लिए पिछले महीने सहमति जताई थी। नए समझौते के तहत इस तेल क्षेत्र से निकलने वाली गैस की खरीद और विपणन की जिम्मेदारी ईरान की होगी जबकि भारतीय कम्पनी इसका विकास करेगी। इस पर 4 से 6 अरब डालर का निवेश होना अनुमानित है।

चाबहार बंदरगाह के विकास की योजना होगी प्रभावित
प्रतिबंधों के कारण 50 करोड़ डालर से चाबहार बंदरगाह के विकास और इसे रेल मार्ग से अफगानिस्तान और मध्य एशिया को जोडऩे की योजना भी प्रभावित हो सकती है। इन नए व्यापारिक गलियारों पर भारत ने करीब 20 अरब डालर निवेश की योजना बनाई है। ईरान पर फरजाद बी तेल क्षेत्र के लिए बातचीत हेतु दबाव बनाने को भारत ने पिछले साल वहां से कच्चे तेल के आयात में करीब एक चौथाई की कटौती की थी। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक अब इस सौदे पर सहमति बनने के बाद 2018-19 में ईरान से कच्चे तेल का आयात 2.5 करोड़ टन से ऊपर पहुंच सकता है।

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